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Thu, Dec 18, 2025

बीजेपी के PDA पर सपा सांसद रुचि वीरा का पलटवार, बोलीं- समाज जोड़ने वाला है समाजवाद

Written by:Saurabh Singh
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चि वीरा ने कहा कि समाजवादी पार्टी का PDA, यानी "पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक" एक आंदोलन है, जो इन तबकों को शिक्षित और सशक्त बनाने का काम करता है।
बीजेपी के PDA पर सपा सांसद रुचि वीरा का पलटवार, बोलीं- समाज जोड़ने वाला है समाजवाद

समाजवादी पार्टी की सांसद रुचि वीरा ने भारतीय जनता पार्टी के ‘PDA’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले पर तीखा हमला बोला है। मुरादाबाद से सांसद रुचि वीरा ने बीजेपी पर नाम की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा का समाजवाद समाज को जोड़ने का संदेश देता है, जबकि बीजेपी भ्रम फैलाकर लोगों को बांटने का काम कर रही है।

PDA असली समाजवादी एजेंडा

रुचि वीरा ने कहा कि समाजवादी पार्टी का PDA, यानी “पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक” एक आंदोलन है, जो इन तबकों को शिक्षित और सशक्त बनाने का काम करता है। उन्होंने कहा,

“बीजेपी को यही खटक रहा है कि अब लोग अखिलेश यादव की विचारधारा से जुड़ रहे हैं। PDA कोई दिखावटी नारा नहीं, बल्कि सशक्तिकरण की पाठशाला है।”

बीजेपी द्वारा हाल में शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को लेकर रुचि वीरा ने आरोप लगाया कि बीजेपी हर चीज़ में धार्मिक रंग घोलने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा,

“आतंकवाद देश के लिए खतरा है। कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन उसे धार्मिक रंग देना बीजेपी की आदत है। ऑपरेशन सिन्दूर इसका ताजा उदाहरण है।”

सीजफायर पर मांगी पारदर्शिता

सीजफायर के मसले पर मोदी सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि अगर विदेशी दबाव में शांति प्रस्ताव आया है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री अब तक इस पर साफ जवाब क्यों नहीं दे पाए हैं। रुचि वीरा ने वोटर आईडी और आधार कार्ड के इस्तेमाल पर सरकार की नीति को दोहरा करार दिया। उन्होंने कहा कि जब बैंक, राशन और बाकी सरकारी योजनाओं में आधार मान्य है, तो वोटिंग में इसकी मान्यता क्यों नहीं दी जाती?

PDA पर भरोसा

बिहार में तेजस्वी यादव के वोट कटने की अटकलों पर उन्होंने चुप्पी साधी, लेकिन PDA की ताकत पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि यह रणनीति सिर्फ उत्तर प्रदेश नहीं, बल्कि पूरे देश में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को एकजुट कर रही है।

“अखिलेश यादव का PDA फॉर्मूला विपक्षी दलों के लिए एक चुनौती बन चुका है। यह सिर्फ वोट बैंक नहीं, समाज को एक करने का सामाजिक आंदोलन है।”

रुचि वीरा के इन बयानों से साफ है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद 2025 के बिहार और अन्य राज्यों के चुनावों में समाजवादी पार्टी अपने PDA मॉडल को केंद्र में रखने जा रही है।