उत्तर प्रदेश की राजनीति में कब कौन किसके करीब आ जाए और कब दूर हो जाए, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। इसका ताजा उदाहरण समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव का बयान है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने आजमगढ़ दौरे पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को लेकर बड़ा बयान दिया।
शिवपाल यादव ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा,
“वो हमारे खास हैं, लेकिन जनता उन्हें 2027 के विधानसभा चुनाव में सबक सिखाएगी।”
उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब अखिलेश यादव और ओम प्रकाश राजभर के रिश्ते तल्खी के दौर में हैं। ऐसे में चाचा शिवपाल का राजभर को ‘खास’ बताना सियासी गलियारों में हलचल मचा रहा है।
2022 से 2024 तक का सफर
ओम प्रकाश राजभर 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े थे। शुरुआत में सबकुछ सामान्य रहा, लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद राजभर ने सपा और अखिलेश पर निशाने साधने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे उन्होंने खुद को सपा से अलग किया और 2023 में बीजेपी का दामन थाम लिया। फिलहाल वे योगी सरकार में मंत्री हैं और बीजेपी के सहयोगी दल सुभासपा के प्रमुख हैं।
बयान के सियासी मायने
राजभर को ‘खास दोस्त’ बताने और साथ ही यह कहने कि ‘जनता 2027 में सबक सिखाएगी’, शिवपाल यादव का यह बयान कई परतों में पढ़ा जा रहा है। क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत संबंधों की बात थी या इसके पीछे कोई भविष्य की सियासी रणनीति भी छिपी है—इस पर चर्चाएं तेज हैं।
सियासी लचीलापन
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह वही ‘सियासी लचीलापन’ है। जो यूपी की राजनीति की पहचान बन चुका है। जहां एक ही नेता सत्ता और विपक्ष दोनों के साथ कभी भी नजर आ सकता है। फिलहाल यह बयान सपा और सुभासपा के बीच रिश्तों को लेकर नए कयासों को जरूर जन्म दे रहा है।





