MP Breaking News
Thu, Dec 18, 2025

गुंडे, माफिया और दंगाई… सब सैफई परिवार के भाई – डिप्टी सीएम मौर्य, शिवपाल यादव का पलटवार

Written by:Saurabh Singh
Published:
मामला शुरू हुआ केशव मौर्य के उस बयान से, जिसमें उन्होंने गुंडे, माफिया और दंगाई सबके सब सैफई परिवार के भाई कहा था। इसके कुछ घंटे बाद ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा और पार्टी महासचिव शिवपाल यादव ने पलटवार किया।
गुंडे, माफिया और दंगाई… सब सैफई परिवार के भाई – डिप्टी सीएम मौर्य, शिवपाल यादव का पलटवार

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव के बीच मंगलवार को सोशल मीडिया पर तगड़ी जुबानी जंग देखने को मिली। मामला शुरू हुआ केशव मौर्य के उस बयान से, जिसमें उन्होंने गुंडे, माफिया और दंगाई सबके सब सैफई परिवार के भाई कहा था। इसके कुछ घंटे बाद ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा और पार्टी महासचिव शिवपाल यादव ने पलटवार किया।

क्या बोले शिवपाल?

शिवपाल ने सुबह X पर लिखा,

“केशव जी, गुंडे, माफिया और दंगाई कौन हैं, यूपी की जनता भली-भांति जानती है। बुलडोज़र से कानून का गला घोंटने वाले, किसानों पर लाठियां बरसाने वाले, किसानों की ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाले, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार के संरक्षक… ये सब आपके आंगन के भाई हैं। सैफई परिवार ने तो अस्पताल, स्टेडियम, नौकरियां और विश्वविद्यालय दिए। आपके ‘परिवार’ ने क्या दिया। नफरत, महंगाई और जंगलराज।


केशव मौर्य का पिछला हमला

दरअसल, डिप्टी सीएम मौर्य ने मंगलवार सुबह ही X पर पोस्ट कर सपा पर वार किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि गुंडे, माफिया और दंगाई, सबके सब सैफई परिवार के भाई। इससे एक दिन पहले, सोमवार को भी उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को निशाने पर लिया था। केशव ने लिखा था,

“सत्ता के लंबे वियोग ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव की छटपटाहट बढ़ा दी है, और यह 2047 तक बरकरार रहेगी। जनता का दोनों पर कोई भरोसा नहीं है, क्योंकि ये राजतंत्र के प्रतीक हैं और लंबे समय तक सत्ता भोगते रहे हैं। जब जनता ने इनकी राजशाही का चोला उतारकर लोकतंत्र के प्रतीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भरोसा जताया, तो इन्होंने लोकतंत्र के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया।”

पहले भी खिलाफ बोल चुके हैं

एक अन्य पोस्ट में केशव मौर्य ने कहा कि बुलेट से बैलट पर कब्ज़ा करने का समाजवादी पार्टी का काला इतिहास रहा है। अब ईवीएम का विरोध करके चुनाव को उसी लठैतवादी युग में ले जाने की वकालत कर रही है, जिसका खौफ समाज आज भी खाता है।