स्वामी प्रसाद मौर्य ने शुक्रवार को प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला। स्कूल मर्जर योजना पर योगी सरकार के यू-टर्न को उन्होंने जनआंदोलन की बड़ी जीत बताया। स्वामी प्रसाद ने कहा कि इस फैसले को लागू किया जाता तो 13 लाख बच्चों की शिक्षा खतरे में पड़ जाती। 54 हजार रसोइयों की रोज़ी और हजारों शिक्षामित्रों की नौकरी चली जाती। स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने ब्लॉक से लेकर प्रदेश मुख्यालय तक आंदोलन चलाया। छात्रों, अभिभावकों और आम जनता का समर्थन मिला, जिसके चलते सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा।
सरकार झुकती है, झुकाने वाला चाहिए
स्वामी प्रसाद ने कहा कि सरकार को लोकतंत्र के दायरे में रहकर काम करना चाहिए, तानाशाही छोड़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि 27,764 प्राथमिक स्कूलों को बंद करने का फैसला पूरी तरह जनविरोधी था, जिसे जनता की ताकत ने रुकवा दिया।
जनता विरोधी
स्वामी प्रसाद मौर्य ने केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकारों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा,
“ये सरकारें जनता की आवाज दबाने और जनविरोधी फैसलों को थोपने के लिए जानी जाती हैं। सरकार का काम जनकल्याण के लिए नीतियां बनाना होता है, न कि शिक्षा जैसी बुनियादी व्यवस्था को तहस-नहस करना।”
मौत पर उठाए सवाल
दिल्ली में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर भी मौर्य ने सरकार को आड़े हाथों लिया। बोले,
“परीक्षा व्यवस्था की अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने पर छात्रों को थाने में रातभर बैठाया जाता है। यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही है।”
बाराबंकी में महिला पुलिसकर्मी विमलेश पाल की मौत पर भी उन्होंने सवाल उठाए। कहा कि चार दिन तक लापता रहने के बाद उसकी लाश मिली, यह योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की सच्चाई दिखाता है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक विवादास्पद बयान में कहा आगे कहा कि अगर भगवा आतंक नहीं है, तो कौन सा आतंक है? आतंकवादी भगवा हो या किसी और रंग का, आतंकवादी ही होता है।”
उन्होंने भाजपा पर अराजकता फैलाने और जनहित की अनदेखी करने का आरोप लगाया। भोजपुरी अभिनेता और सांसद रवि किशन पर तंज कसते हुए मौर्य बोले कि अगर वो राजनीति में रगड़-घिसकर आए होते, तो जमीन से जुड़े मुद्दों पर बात करते। मगर वो हवा-हवाई राजनीति करते हैं।





