6 दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद और उससे जुड़े संगठनों के कार्यकर्ताओं के एक बड़े समूह ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। यह मस्जिद लंबे समय से सामाजिक-राजनीतिक विवाद का विषय रही है और हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा आयोजित एक राजनीतिक रैली के हिंसक हो जाने के बाद इसे निशाना बनाया गया था। इस घटना को आज पूरे 33 साल हो गए हैं और हालात भी काफी बदल गए हैं।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो गया है 5 अगस्त 2020 को भूमिपूजन हुआ और 22 जनवरी 2024 को मंदिर में श्रीराम के बाल रूप के प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा की गई। इस मंदिर के लिए न जाने कितने कारसेवकों ने अपने प्राणों का बलिदार दिया है। उनको याद करते हुए आज हनुमान गढ़ी में दीपोत्सव आयोजित किया गया। इसके बाद जमकर पटाखे फोड़े और कारसेवकों को नमन किया।
बता दें कि हनुमान गढ़ी मंदिर में आज 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराने वाले कारसेवकों को याद करते हुए 5100 दीये जलाए गए। यह उत्सव पिछले साल भी हुआ था। पुजारी दीपक दास महाराज ने कहा कि आज हमने जो भव्य मंदिर बनाया है, वह उन्हीं कारसेवकों की मेहनत का नतीजा है। सिर्फ हम ही नहीं, बल्कि सभी हिंदू राम मंदिर जाकर खुश हैं।
उन्होंने कहा कि बाबर हमारा मालिक नहीं था। बाबर एक विदेशी हमलावर था, और उसने जो विवादित ढांचा बनवाया था, उसे हमारे लाखों राम भक्तों ने गिरा दिया था। उन्हीं कारसेवकों को याद करते हुए ये दीपोत्सव आयोजित किया गया है।
अयोध्या में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू
आज बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने अयोध्या में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू कर की है। अगर कहें तो शहर को एक तरह के किले में तब्दील कर दिया गया है और नवनिर्मित राम मंदिर, रेलवे स्टेशन, प्रमुख सड़कों और आवास सुविधाओं के आसपास बहुस्तरीय निगरानी की जा रही है।





