उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के दस्तावेज के रूप में तैयार की जा रही ‘घरौनी’ को अब कानूनी मान्यता दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 के प्रारूप को मंजूरी दे दी गई। अब इस विधेयक को विधानमंडल में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट के इस फैसले के बाद घरौनी अब संपत्ति का आधिकारिक दस्तावेज मानी जाएगी। इसके आधार पर लोग बैंकों से कर्ज ले सकेंगे, संपत्ति का नामांतरण (दाखिल-खारिज) करा सकेंगे और जरूरत पड़ने पर संपत्ति के स्वामित्व को साबित कर सकेंगे।
किन दस्तावेजों से होंगे नामांतरण?
सरकार के मुताबिक, अब उत्तराधिकार, रजिस्ट्रीकृत विक्रय विलेख, उपहार विलेख, सरकारी नीलामी, भूमि अधिग्रहण, रजिस्ट्रीकृत वसीयत, न्यायालयीन आदेश, विभाजन या पारिवारिक समझौते के आधार पर घरौनी में नामांतरण या संशोधन किया जा सकेगा।
- निर्विवाद उत्तराधिकार मामलों में राजस्व निरीक्षक अधिकृत होगा
- अन्य मामलों में तहसीलदार या नायब तहसीलदार को अधिकार मिलेगा
क्या है ‘घरौनी’ और कैसे बन रही है?
केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन तकनीक से ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे कर यह दस्तावेज तैयार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में अब तक 1,06,46,834 घरौनियां तैयार की जा चुकी हैं, जिनमें से 1,01,31,232 घरौनियां वितरित भी की जा चुकी हैं।
अन्य प्रावधान
इस योजना को लागू करने के लिए 8 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया विनियमावली-2020 लागू की गई थी। अब नया विधेयक लाकर सरकार ने नामांतरण, संशोधन, लिपिकीय त्रुटि सुधार और पता या फोन नंबर बदलने जैसी सुविधाएं भी देने का प्रावधान कर दिया है।
यह विधेयक ग्रामीण संपत्ति के स्वामित्व को लेकर लंबे समय से चली आ रही अस्पष्टता को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।





