लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कारोबार को और सुगम बनाने के लिए योगी सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। इंडस्ट्रियलिस्ट और इन्वेस्टर्स को राहत देते हुए सरकार ने ज्यादातर गैर-आवासीय भवनों के लिए Fire Safety नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) की वैधता 3 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दी है। यह फैसला ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य प्रदेश में निवेश का माहौल बेहतर करना है।
सरकार ने उत्तर प्रदेश Fire and Emergency Services Rules, 2024 में संशोधन करते हुए यह बदलाव किया है। पहले आवासीय भवनों (होटल को छोड़कर) के लिए एनओसी 5 साल और गैर-आवासीय भवनों के लिए 3 साल के लिए वैध होती थी। अब इस अवधि को एक समान कर दिया गया है।
इन भवनों को मिली छूट
नए नियमों के तहत बिजनेस, मर्केंटाइल, एजुकेशनल और असेंबली टाइप ऑक्यूपेंसी समेत कई तरह के भवनों को फायदा होगा। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह छूट अत्यधिक संवेदनशील माने जाने वाले भवनों पर लागू नहीं होगी। इनमें अस्पताल (इन्स्टीट्यूशनल ऑक्यूपेंसी) और हाई हैजार्ड इंडस्ट्रियल (अत्यधिक संकट वाले औद्योगिक) भवन शामिल हैं। इन पर पहले की तरह ही पुराने नियम लागू रहेंगे, जिनकी वैधता अवधि कम होती है।
ऑनलाइन प्रक्रिया भी हुई सरल
एनओसी की वैधता बढ़ाने के साथ ही सरकार ने इसके आवेदन की प्रक्रिया को भी सरल बना दिया है। फायर डिपार्केमेंट के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन के फॉर्मेट को छोटा और अधिक ईजी बनाया गया है। पहले के ऑनलाइन फॉर्म में कई जरूरी जानकारियों के लिए कॉलम नहीं थे, जिससे प्रक्रिया अधूरी रहती थी।
नए फॉर्मेट में क्वालिफाइड एजेंसी, फायर लिफ्ट सुरक्षा प्रमाण पत्र और विद्युत सुरक्षा प्रमाण पत्र जैसी जरूरी सूचनाओं को शामिल किया गया है। अधिकारियों का मानना है कि इससे आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और उद्यमियों को समय पर फायर एनओसी मिल सकेगी।
निवेश और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
सरकार का मानना है कि इन सुधारों से प्रदेश में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। एनओसी की अवधि बढ़ने से उद्यमियों को बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इससे न केवल उनका समय बचेगा, बल्कि व्यापार करने में भी आसानी होगी। उम्मीद है कि इस फैसले से राज्य में रोजगार सृजन और नागरिक सुविधाओं में भी सुधार होगा।





