उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनाव भले ही दूर हो, लेकिन सियासी गर्मी अभी से महसूस की जा रही है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण साधने में जुटे हैं और इसी के साथ बयानबाजी का दौर भी तेज़ हो चला है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीधा हमला बोला है।
डीप्टी सीएम ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “हिंदुओं की आस्था को व्यापार बताने का दुस्साहस करने वाले सपा बहादुर अखिलेश यादव ने सही मायने में मुस्लिम, मस्जिद और मदरसों को अपने ‘वोट का बाज़ार’ बना रखा है। सपाइयों को चाहिए कि वे अपने बहादुर नेता से समाजवादी पार्टी का नाम बदलकर ‘मदरसावादी पार्टी’ रखने की मांग करें।”
हिंदुओं की आस्था को व्यापार बताने का ‘दुस्साहस’ करने वाले सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव ने सही मायने में मुस्लिम, मस्जिद और मदरसों को अपने ‘वोट का बाज़ार’ बना रखा है। सपाईयों को अपने बहादुर से समाजवादी पार्टी का नाम बदलकर ‘मदरसावादी पार्टी’ रखने की मांग करनी चाहिए।
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) July 14, 2025
तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप
राजनीतिक जानकारों की मानें तो डिप्टी सीएम का यह बयान केवल सपा पर हमला नहीं है, बल्कि बीजेपी की आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। माना जा रहा है कि भाजपा प्रदेश में हिंदू वोट बैंक को एकजुट रखने की कोशिश में है। इसी रणनीति के तहत विपक्ष पर ‘तुष्टीकरण’ की राजनीति के आरोप लगाए जा रहे हैं।
वहीं यह भी चर्चा है कि केशव प्रसाद मौर्य को जल्द ही उत्तर प्रदेश बीजेपी की कमान सौंपी जा सकती है। पार्टी के भीतर संभावित बदलावों की चर्चाओं के बीच मौर्य का यह आक्रामक तेवर इस अटकल को और मजबूती देता है। हालांकि, इस बारे में पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है।
कांग्रेस पर भी बोला हमला
केशव मौर्य ने कांग्रेस को भी नहीं छोड़ा। रविवार को उन्होंने कहा था, “धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की नकली बैसाखियों के सहारे कांग्रेस ने दशकों तक सत्ता पर कब्जा बनाए रखा, लेकिन अब कालचक्र ने उनका तिलिस्म तोड़ दिया है।”
सपा की प्रतिक्रिया का इंतजार
उधर, समाजवादी पार्टी की ओर से मौर्य के इस बयान पर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पार्टी से जुड़े कुछ नेताओं ने इसे इशारों में ‘ध्रुवीकरण की राजनीति’ बताया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आएंगे, इस तरह की बयानबाजी और तीव्र होगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी पार्टी इस तीखे हमले का क्या जवाब देती है और आगामी चुनाव में जनता किसे नज़रअंदाज़ करती है और किसे अपनाती है।





