Sun, Dec 28, 2025

योगी सरकार का ‘जीरो पॉवर्टी अभियान’, गरीबों को मिलेगा ट्रेनिंग के बाद नौकरी का सीधा ऑफर

Written by:Saurabh Singh
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ट्रेनिंग के बाद जिन कंपनियों में नौकरी मिल सकती है, उनमें होटल ताज, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एल एंड टी लिमिटेड, मेदांता हॉस्पिटल और अदाणी ग्रुप जैसी नामी कंपनियां शामिल हैं।
योगी सरकार का ‘जीरो पॉवर्टी अभियान’, गरीबों को मिलेगा ट्रेनिंग के बाद नौकरी का सीधा ऑफर

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गरीब परिवारों को गरीबी से निकालने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार अब ‘जीरो पॉवर्टी अभियान’ के तहत चिह्नित गरीब परिवारों के सदस्यों को न सिर्फ ट्रेनिंग देगी, बल्कि उनकी नौकरी भी पक्की करेगी। वो भी देश और विदेश की जानी-मानी कंपनियों में। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि सरकार की कोशिश है कि प्रदेश में कोई भी परिवार ऐसा न रहे, जिसे दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़े। इसी सोच के साथ ‘गारंटीड स्किल डेवलपमेंट’ और ‘गारंटीड प्लेसमेंट’ वाला मॉडल तैयार किया गया है।

सरकार की योजना के मुताबिक, ट्रेनिंग के बाद जिन कंपनियों में नौकरी मिल सकती है, उनमें होटल ताज, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एल एंड टी लिमिटेड, मेदांता हॉस्पिटल और अदाणी ग्रुप जैसी नामी कंपनियां शामिल हैं। यानी ट्रेनिंग पूरी, नौकरी पक्की।

क्या सिखाया जाएगा?

मुख्य सचिव ने बताया कि चिन्हित परिवारों के मुखिया को ‘360 डिग्री स्किल मॉडल’ के तहत सात तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी। इनमें ऑफिस मेंटेनेंस, टॉयलेट क्लीनिंग, गेस्ट अटेंडेंट, हाउसकीपिंग, हॉस्पिटैलिटी जैसी चीज़ें शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें भाषा कौशल भी सिखाया जाएगा ताकि वे कॉर्पोरेट माहौल में सहज होकर काम कर सकें।

कितनी होगी सैलरी?

ट्रेनिंग पूरी करने के बाद नौकरी मिलने पर कम से कम 18,400 रुपये महीने की सैलरी सुनिश्चित की जाएगी। यानी अब गरीबी हटाने का काम सिर्फ नारे तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सीधे रोजगार से जोड़ा जाएगा।

सरकार का दावा है कि अब तक 40 से ज़्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने इस अभियान में भागीदारी की इच्छा जताई है। वे ज़ीरो पॉवर्टी अभियान से जुड़े लोगों को नौकरी देने को तैयार हैं।

पहले चरण में 300 परिवार

अभियान के पहले चरण में 300 चिन्हित परिवारों के मुखिया को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद पूरे प्रदेश में बाकी चिन्हित परिवारों को भी इसी तरह प्रशिक्षण देकर नौकरियों से जोड़ा जाएगा। इसके लिए राज्य का कौशल विकास विभाग और एक हज़ार ट्रेनिंग पार्टनर साथ मिलकर काम करेंगे।

मुख्य सचिव मनोज सिंह ने साफ कहा कि यह पहल सिर्फ रोजगार तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक समरसता की दिशा में बड़ा कदम है। सरकार चाहती है कि गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले परिवार सिर्फ सरकारी योजना के मोहताज न रहें, बल्कि खुद अपने पैरों पर खड़े हों।