उत्तर प्रदेश के उरई स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। पेट दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल आए एक मरीज को बिना अनुमति और पुष्टि के ऑपरेशन थिएटर ले जाकर दो इंजेक्शन तक दे दिए गए। वह बार-बार बताता रहा कि उसे डिस्चार्ज किया जाना है, लेकिन उसकी एक न सुनी गई। मरीज मौके से भाग खड़ा हुआ। इस गंभीर लापरवाही पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने तत्काल प्रभाव से कड़ी कार्रवाई की है।
ऑपरेशन किसी और का करने लगे
पूरा मामला माधौगढ़ के डिकोली गांव निवासी बृजेश चौधरी से जुड़ा है। उन्हें पेट दर्द की शिकायत पर 28 जुलाई को उरई के राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। डॉक्टरों ने आंतों में सूजन पाई और अगले दिन डिस्चार्ज करने की बात कही थी। लेकिन सुबह अस्पताल का स्टाफ उन्हें ऑपरेशन थिएटर ले गया।
बृजेश चौधरी बार-बार कहता रहा कि उसका कोई ऑपरेशन नहीं होना है, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। उसे दो इंजेक्शन दिए गए और ऑपरेशन की तैयारी की जाने लगी। जैसे ही मौका मिला, वह ऑपरेशन थिएटर से भाग निकला।
डिप्टी सीएम ने बताया घोर लापरवाही
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मामले को बेहद गंभीर बताया और तुरंत जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि यह सीधे-सीधे मरीज की जान के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. अरविंद त्रिवेदी और फॉरेंसिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीत अवस्थी की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच समिति गठित की है।
पांच स्वास्थ्यकर्मी सस्पेंड
शुरुआती जांच में दोषी पाए गए पांच लोगों को निलंबित कर दिया गया है। इसमें सर्जरी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सुधांशु शर्मा, सीनियर रेजिडेंट डॉ. विशाल त्यागी और तीन नर्स – ऊषा देवी, अमरपाली एस. लाल और स्नेहप्रभा – शामिल हैं। सभी को प्राचार्य कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है।
कमेटी विस्तृत जांच के बाद अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल इस घटना ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मरीजों की सुरक्षा सर्वोपरि है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”





