धार्मिक नगरी चित्रकूट में संत तुलसीदास की जयंती के अवसर पर एक भव्य समारोह आयोजित हुआ। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुलसीदास जी के जीवन, विचारों और संघर्षों को याद किया। उन्होंने कहा कि 500 वर्ष पहले जब यह गांव कठिनाइयों और संसाधनों की कमी से जूझ रहा था, तब एक दिव्य आत्मा का जन्म हुआ, जिन्होंने बाल्यकाल में ही प्रभु श्रीराम के चरणों में खुद को समर्पित कर दिया।
क्या बोले सीएम?
मुख्यमंत्री ने कहा कि उस दौर में जब मुगल सम्राट अकबर साम्राज्य का विस्तार कर रहा था और दरबारों में जगह पाने की होड़ थी, तब तुलसीदास जी ने रामबोला के रूप में प्रभु श्रीराम की भक्ति को ही अपना जीवन बना लिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा,
“जब देश के राजे-रजवाड़े विदेशी आक्रांताओं की अधीनता स्वीकार कर रहे थे, उस समय संत तुलसीदास जी भक्ति और शक्ति के अद्भुत संगम के रूप में जनचेतना को जाग्रत कर रहे थे। उन्होंने प्रतिकार का रास्ता तलवार से नहीं, बल्कि रामचरितमानस और रामलीला के जरिए चुना।”
मुख्यमंत्री ने तुलसीदास जी के दौर की राजनीति पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि अकबर ने भले ही अपने शासन का एक सॉफ्ट चेहरा दिखाने की कोशिश की, लेकिन उसके पीछे की क्रूरता आज भी दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि संतों की परंपरा ने उस समय भी डटकर इसका प्रतिकार किया।
तुलसीदास जी की स्मृति आज भी जीवित है
योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर जगतगुरु रामभद्राचार्य और पूज्य मुरारी बापू का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से तुलसीदास जी की स्मृति आज भी जीवित है। उन्होंने कहा कि संतों के दर्शन और उनके विचारों से प्रेरणा लेना एक सौभाग्य की बात है।
तुलसी अवार्ड और रत्नावली अवार्ड
कार्यक्रम में रामकथा के प्रचारकों को तुलसी अवार्ड और रत्नावली अवार्ड से सम्मानित किया गया। चित्रकूट की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यही वह धरती है जहां ऋषि-मुनियों ने तप किया और जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का सबसे लंबा समय बिताया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में चित्रकूट को विरासत के साथ विकास से जोड़ने का काम शुरू हो चुका है। यह स्थान अब केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और प्रेरणा का केंद्र बन चुका है।





