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Sun, Dec 7, 2025

पिथौरागढ़ का नैनी सैनी एयरपोर्ट अब AAI चलाएगा, पीएम मोदी की मौजूदगी में उत्तराखंड सरकार के साथ MoU पर हस्ताक्षर

Written by:Banshika Sharma
प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में एयरपोर्ट ऑथोरिट ऑफ इंडिया (AAI) और उत्तराखंड सरकार ने नैनी सैनी हवाई अड्डे के के लिए MoU किया है। इस कदम से पहाड़ी राज्य में हवाई संपर्क बेहतर होगा और पर्यटन व रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
पिथौरागढ़ का नैनी सैनी एयरपोर्ट अब AAI चलाएगा, पीएम मोदी की मौजूदगी में उत्तराखंड सरकार के साथ MoU पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में हवाई संपर्क को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में एयरपोर्ट ऑथोरिट ऑफ इंडिया (AAI) और उत्तराखंड सरकार के बीच पिथौरागढ़ स्थित नैनी सैनी हवाई अड्डे के अधिग्रहण के लिए एक MoU पर हस्ताक्षर किए गए।

इस समझौते के बाद अब एयरपोर्ट का ऑपरेशन, मैनेजमेंट और डेवलपमेंट AAI करेगा। माना जा रहा है कि इससे न केवल हवाई अड्डे के बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा, बल्कि इस क्षेत्र में हवाई यात्रा सुगम, सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय बनेगी।

क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मिलेगा बढ़ावा

लगभग 70 एकड़ में फैला नैनी सैनी हवाई अड्डा स्ट्रेटेजिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इस MoU का मुख्य उद्देश्य एयरपोर्ट के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना और ऑपरेशनल स्टैंडर्ड्स को बेहतर बनाना है। इससे उत्तराखंड की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में ढंग के सुधार होने की उम्मीद है।

वर्तमान में, एयरपोर्ट के टर्मिनल भवन क्षमता 40 यात्रियों की है साथ ही इसके एप्रन पर एक साथ दो (कोड-2B) विमान पार्क किए जा सकते हैं। AAI द्वारा अधिग्रहण बाद इन क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा।

पर्यटन और रोजगार के नए अवसर

नैनी सैनी हवाई अड्डे का विकास प्रदेश की स्थानीय कला, संस्कृति और पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाइयां देगा। बेहतर हवाई संपर्क से कैलाश-मानसरोवर यात्रा जैसे तीर्थ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, व्यापार, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी नए अवसर खुलेंगे।

सरकार का मानना है कि इस पहल से स्थानीय युवाओं के रोजगार के नए रास्ते बनेंगे और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को भी मजबूती मिलेगी। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक्सेसिबल एंड सस्टेनेबल विमानन इंफ्रास्ट्रक्टर के विजन को भी साकार करता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह हवाई अड्डा डिजास्टर रिस्पांस कैपेबिलिटीज को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाएगा, जिससे किसी भी आपात स्थिति में राहत और बचाव कार्य तेजी से किए जा सकेंगे।