पावन श्रावण मास के चलते भारी भीड़ के बीच रविवार सुबह हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर मार्ग पर भगदड़ मच गई, जिसमें 7 श्रद्धालुओं की मौत और 35 से अधिक घायल होने की पुष्टि हुई है। इस दर्दनाक हादसे ने न केवल स्थानीय प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है।
जहां एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीड़ित परिवारों को मुआवजे और जांच का भरोसा दिलाया है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस नेताओं ने इस हादसे को प्रशासनिक विफलता करार दिया है।
7 की मौत, कांग्रेस ने जताया दुख
सुबह करीब 9 बजे के आसपास बिजली के करंट की अफवाह फैलने के बाद श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई। घटना की सूचना मिलते ही एनडीआरएफ और पुलिस प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। घायलों को एंबुलेंस के जरिए विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
मृतकों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। प्रशासन का कहना है कि भगदड़ का असली कारण फिलहाल जांच का विषय है, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट में करंट की अफवाह को मुख्य वजह माना जा रहा है।
भीड़ नियंत्रण में सरकार रही नाकाम
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह हादसा चिंताजनक है और इससे यह सवाल उठता है कि सरकार भीड़ नियंत्रण में पूरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि मनसा देवी मंदिर जाने के लिए ट्रॉली और पैदल मार्ग दोनों उपलब्ध हैं, फिर भी क्यों भीड़ को नियंत्रित नहीं किया गया।
हरीश रावत ने कहा- “ऐसे स्थानों पर अनुभवी और क्राउड मैनेजमेंट क्षमता वाले अधिकारियों की तैनाती होनी चाहिए। जब सावन के महीने में भीड़ बढ़ती है, तो सरकार की जिम्मेदारी होती है कि व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखी जाएं।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या प्रशासन ने पहले से भीड़ का पूर्वानुमान नहीं लगाया था? अगर लगाया था, तो उस हिसाब से इंतजाम क्यों नहीं किए गए?
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उठाए सवाल
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा ने भी इस घटना पर दुख जताया और सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारी राहत कार्य में लगे हुए हैं, लेकिन यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि ऐसी स्थिति आने ही न दी जाए। करण मेहरा ने कहा- “प्रशासन हादसे के लिए तैयार नहीं था। जब पहले से यह पता था कि श्रावण और रविवार को भीड़ बढ़ेगी, तो क्या पर्याप्त पुलिस बल, चिकित्सा सुविधाएं और मार्गदर्शन व्यवस्थाएं की गई थीं?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह हादसा सरकारी ‘मिस मैनेजमेंट’ का परिणाम है और सरकार इस जिम्मेदारी से नहीं बच सकती।
सरकार ने दिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरा दुख प्रकट करते हुए मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश देते हुए स्पष्ट किया कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीएम धामी ने कहा- “हमने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी घायल को इलाज में कोई कमी न हो। पूरी जांच के बाद स्पष्ट होगा कि लापरवाही किस स्तर पर हुई है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर दुख जताया है और राज्य सरकार से पूरी जानकारी मांगी है।
फिलहाल, मंदिर मार्ग पर एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की तैनाती कर दी गई है और श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देने के लिए घोषणाएं और दिशा-निर्देशों का सहारा लिया जा रहा है। हरिद्वार जैसे धार्मिक और संवेदनशील स्थान पर इस तरह की घटना बेहद चिंताजनक है। कांग्रेस जहां इसे सरकार की विफलता बता रही है, वहीं सरकार जांच के भरोसे के साथ सक्रियता भी दिखा रही है। यह हादसा बताता है कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन, अफवाह नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता देना कितना जरूरी है। अब देखना होगा कि जांच में क्या सामने आता है और सरकार इससे क्या सबक लेती है।





