उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत, सहयोगी वीरेंद्र सिंह कंडारी, लक्ष्मी राणा और पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ सहसपुर जमीन घोटाले में चार्जशीट दाखिल की है। यह चार्जशीट देहरादून की विशेष PMLA अदालत में दायर की गई है।
क्या है सहसपुर जमीन घोटाला?
ईडी की जांच के मुताबिक, देहरादून के सहसपुर इलाके की 101 बीघा जमीन की खरीद-फरोख्त में भारी अनियमितता हुई। रावत और उनके सहयोगियों ने साजिश के तहत जमीन अपने नाम रजिस्टर्ड करवाई। यह वही जमीन है जिसे ईडी ने जनवरी 2025 में अटैच कर लिया था। पूरा मामला धोखाधड़ी और जालसाजी के केस पर आधारित है, जिसकी जांच सहसपुर थाने से शुरू हुई थी।
रावत का दावा – मेरे पास हैं सारे दस्तावेज
NDTV से बात करते हुए हरक सिंह रावत ने कहा कि उनके पास सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि वह निर्दोष हैं और अदालत में सच सामने आ जाएगा। रावत ने यह भी बताया कि इस मामले की पहले दो बार जांच हो चुकी है, जिसमें उन्हें क्लीन चिट मिली थी।
अदालत में दोष साबित हुआ तो छोड़ दूंगा राजनीति
हरक सिंह रावत ने कहा कि अगर अदालत में यह साबित हो गया कि उन्होंने गलत किया है, तो वह सार्वजनिक जीवन और राजनीति से संन्यास ले लेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और वे सभी कागजात अदालत में पेश करेंगे। उनका दावा है कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक साजिश है।
आरोप लगाने वालों पर करेंगे कानूनी कार्रवाई
रावत ने सवाल उठाया कि अगर वह अदालत से निर्दोष साबित होते हैं, तो उन अधिकारियों और जांचकर्ताओं पर क्या कार्रवाई होगी, जिन्होंने उन पर यह केस दर्ज किया। उन्होंने साफ कहा कि यदि उन्हें क्लीन चिट मिलती है, तो वे जांच में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।





