उत्तराखंड की पवित्र केदारनाथ यात्रा एक बार फिर मौसम की मार झेल रही है। मंगलवार रात से जारी भारी बारिश और भूस्खलन के चलते केदारनाथ मार्ग पर स्थित गौरीकुंड और सोनप्रयाग के बीच का मुख्य मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। तकरीबन 1.5 किलोमीटर क्षेत्र में बोल्डर और मलबा गिरने के कारण करीब 50-60 मीटर सड़क मलबे में दब गई है। कुछ स्थानों पर सड़क वॉशआउट (पानी में बह जाने) की आशंका भी जताई जा रही है। धामी सरकार के निर्देश पर प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यात्रा को अगले दो-तीन दिनों के लिए स्थगित कर दिया है। मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुए रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने सोनप्रयाग में धाम की ओर जाने वाले यात्रियों को रोका, जबकि धाम से लौटने वाले यात्रियों को गौरीकुंड में सुरक्षित जगहों पर ठहराया गया है।
रास्ता बंद, जेसीबी भी असहाय
बारिश के बीच भारी मलबा और लगातार गिरते पत्थर जेसीबी मशीनों के लिए भी चुनौती बन गए हैं। प्रशासन की ओर से नियुक्त कार्यदायी संस्था लगातार सड़क से मलबा हटाने का प्रयास कर रही है, लेकिन लगातार खराब मौसम के कारण कार्य में रुकावट आ रही है। पुलिस बल तैनात कर यात्रियों को आगे बढ़ने से रोका गया है, ताकि किसी भी प्रकार की जनहानि न हो। रुद्रप्रयाग प्रशासन ने साफ कर दिया है कि मार्ग को पूरी तरह सुरक्षित और स्थिर किए बिना किसी को सोनप्रयाग से आगे पैदल भी नहीं जाने दिया जाएगा।
यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था
प्रशासन ने यात्रा रुके हुए हजारों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गौरीकुंड और सोनप्रयाग में धर्मशालाओं, होटलों और अन्य सुरक्षित स्थानों पर रहने और खाने की अस्थायी व्यवस्था की है। यात्रियों को राशन, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामान मुहैया कराया जा रहा है। कई श्रद्धालु मायूस जरूर हैं, लेकिन वे प्रशासन के निर्णय का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जीवन की रक्षा सर्वोपरि है और प्रशासन ने वक्त रहते सही कदम उठाया है। स्थानीय लोगों की मदद से भी कई यात्रियों को सहारा मिल रहा है।
बारिश में पहाड़ों का डरावना सच
चारधाम यात्रा मार्गों पर मानसून के दौरान भूस्खलन, बोल्डर गिरना और सड़कों का धंसना आम घटनाएं हैं। खासकर केदारनाथ मार्ग, जो भौगोलिक दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है, हर साल बारिश में यात्रा को बार-बार बाधित करता है। प्रशासन ने पहले से ही मौसम के खराब होने की आशंका जताई थी और अलर्ट जारी कर दिया गया था, बावजूद इसके हजारों यात्री यात्रा पर थे। अब हालात को देखते हुए प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे अपनी यात्रा को 2-3 दिनों के लिए टालें और आधिकारिक निर्देशों और मौसम अपडेट पर ही भरोसा करें।
प्रशासन की अपील और भविष्य की तैयारी
रुद्रप्रयाग प्रशासन, पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर डटी हुई हैं। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि रास्ता साफ होने के बाद ही यात्रा फिर से शुरू की जाएगी। साथ ही यात्रियों को गैर-आधिकारिक अफवाहों से दूर रहने और केवल प्रशासनिक घोषणाओं पर भरोसा करने की सलाह दी गई है। भविष्य के लिए भी सरकार को चाहिए कि यात्रा मार्गों पर रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाएं, मौसम आधारित अलर्ट सिस्टम को और सटीक और प्रभावी बनाया जाए, आपातकालीन स्थिति में यात्रियों के लिए स्थायी रुकने और राहत केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए।
आस्था और सुरक्षा दोनों जरूरी
केदारनाथ यात्रा श्रद्धा का विषय है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हर साल भारी बारिश से बाधित होती यह यात्रा यह संकेत देती है कि अब वक्त आ गया है जब राज्य सरकार और केंद्र मिलकर एक स्थायी, सुरक्षित और तकनीक आधारित यात्रा व्यवस्था विकसित करें। फिलहाल, सभी यात्रियों से अपील है कि वे धैर्य बनाए रखें, प्रशासन की ओर से दी जा रही सहूलियतों का लाभ उठाएं और मौसम की स्थिति सामान्य होने तक इंतजार करें। प्रकृति के आगे हर योजना छोटी साबित हो सकती है, लेकिन संयम और समझदारी हमें हर चुनौती से पार दिला सकती है।





