पांच वर्षों में एक बार होने वाला विधानसभा चुनाव उत्तराखंड के लिए बड़ी चुनौती और अवसर दोनों है। 2022 में BJP ने भारी बहुमत से सत्ता हासिल की, लेकिन 2025 के पंचायत चुनावों ने उसकी ताकत की परीक्षा ली-हालांकि पार्टी ने प्रमुख सीटों पर फिर से प्रभुत्व दर्ज कराया, लेकिन कांग्रेस की वापसी की उम्मीदें ऊभ रही हैं। ग्राम स्तर पर हालात रोचक बने हुए हैं-अनेक क्षेत्रीय और निर्दलीय उम्मीदवारों की बढ़ती लोकप्रियता ने भाजपा को अलर्ट कर दिया है।
निर्दलीयों ने कई ज़िला पंचायत और नगर निकाय सीटें जीतीं-यह कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है, लेकिन भाजपा को नए समर्थन के सूत्र खोजने होंगे। कांग्रेस ने अगले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी तेज़ कर दी है। पार्टी आलाकमान ने पंचायत और नगर पंचायत स्तर से ही अपनी सक्रियता बढ़ा दी है-बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करना और स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता तक पहुंचना प्राथमिकता बनी है। संगठनात्मक सुधार, वोटर लिस्ट सुधार और स्थानीय नेताओं को सक्रिय बनाए जाने की रणनीति बनी है। वहीं BJP भी खाली नहीं बैठी।
2025 के नगर चुनावों
2025 के नगर चुनावों और पंचायत परिणामों के बाद से पार्टी नेतृत्व कैबिनेट का विस्तार और टीम में फेरबदल करने की खासी सोच रहा है। लोक स्तर पर कमजोर बस्तियों में पुनः जनता के बीच कार्यकर्ता जोड़कर मजबूत आधार खड़ा करने की योजना है। आर्थिक और स्थिर शासन के लिए राजनीतिक लड़ाई जितनी ज़रूरी है, उतना ही संगठनात्मक मजबूती और आम जनता का भरोसा भी ज़रूरी है।
ग्रामीण वोट को सरंक्षित
दोनों दलों ने इस लड़ाई को अब से शुरू कर दिया है-2027 तक बीजेपी अपनी सरकार की उपलब्धियाँ और विकास बताकर ग्रामीण वोट को सरंक्षित करना चाहेगी। कांग्रेस को उन मुद्दों-जैसे बेरोजगारी, शिक्षा, स्थानीय भ्रष्टाचार और सुरक्षा-पर वोटरों का विश्वास जीतना होगा। अभी अगले दो वर्षों में ये गेम और तेज़ होगा-जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आएगा, पार्टियाँ और रणनीतिक कदम उठाएँगी। लेकिन फिलहाल देखा जाए तो कांग्रेस ने जमीन से सुएंग बात रख ली है, जबकि BJP पारंपरिक समर्थन को बनाए रखने की कवायद में जुटी है।





