उत्तराखंड की आस्था की भूमि हरिद्वार को फर्जी बाबाओं और कथित साधु-संतों से मुक्त करने के लिए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू हुए इस विशेष अभियान के तहत अब तक 1500 से अधिक बाबाओं का वेरिफिकेशन किया जा चुका है, जिसमें 167 फर्जी बाबाओं की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। इस अभियान को लेकर प्रशासन पूरी तरह सख्त है और साफ संदेश दे रहा है कि हरिद्वार की धार्मिक गरिमा को आड़ बनाकर ठगी या धोखाधड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
167 फर्जी बाबाओं पर कार्रवाई
हरिद्वार के एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल ने बताया कि ऑपरेशन कालनेमि के तहत बीएनएस एक्ट और पुलिस एक्ट की धाराओं के अंतर्गत अब तक 167 लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है। ये सभी खुद को साधु या संत बताकर लोगों को गुमराह कर रहे थे। इन पर अवैध गतिविधियों, ठगी, और गलत पहचान के तहत कार्रवाई की गई है। एसएसपी के अनुसार- “यह अभियान न केवल फर्जी बाबाओं की पहचान करने के लिए है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और श्रद्धालुओं की आस्था को कोई नुकसान न पहुंचे।”
बाहर से आकर रहने वालों पर विशेष निगरानी
पुलिस ने हरिद्वार के विभिन्न थाना क्षेत्रों में विशेष रूप से उन साधु-संतों पर नजर रखनी शुरू कर दी है जो बाहर से आकर स्थायी रूप से यहां डेरा जमा चुके हैं। प्रशासन को आशंका है कि कुछ लोग धार्मिक वेशभूषा की आड़ में न सिर्फ ठगी, बल्कि अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में भी लिप्त हैं। कनखल, बहादराबाद, कलियर, रुड़की, मंगलौर और लक्सर जैसे क्षेत्रों में बीते दो दिनों में ही 80 से अधिक संदिग्ध बाबाओं पर कार्रवाई की गई है।
पहचान छिपाने वालों पर खास निगरानी
एसएसपी डोभाल ने स्पष्ट किया कि जो लोग धर्म बदलकर साधु-संत के रूप में भ्रम फैला रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए अलग से सूचना तंत्र और गुप्त निगरानी व्यवस्था तैयार की गई है। पुलिस ने स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं से भी अपील की है कि अगर उन्हें किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी हो तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। एसएसपी डोभाल ने कहा कि- हरिद्वार की पहचान आस्था और सनातन संस्कृति से जुड़ी है। उसे किसी भी सूरत में कलंकित नहीं होने दिया जाएगा।
हरिद्वार को फर्जी साधुओं से मुक्त करेंगे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऑपरेशन को प्रदेश में साफ-सुथरे और पारदर्शी धार्मिक वातावरण के निर्माण के लिए जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक नगरी को किसी भी हाल में फर्जी बाबाओं और अराजक तत्वों का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा। ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का उद्देश्य उन लोगों को बेनकाब करना है जो धार्मिकता का मुखौटा पहनकर अपराधों को अंजाम देते हैं। यह अभियान आगे भी पूरे राज्य में चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगा। इसके साथ ही साधु-संतों का डिजिटल डाटा-बेस भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें उनका बायोमेट्रिक और पहचान पत्र दर्ज किया जाएगा।
आस्था की रक्षा के लिए सख्ती जरूरी
हरिद्वार में ऑपरेशन कालनेमि के जरिए फर्जी बाबाओं के खिलाफ चल रही कार्रवाई एक सकारात्मक और साहसिक पहल मानी जा रही है। यह न सिर्फ श्रद्धालुओं की आस्था की रक्षा करेगा, बल्कि हरिद्वार जैसे पवित्र स्थल को सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से स्वच्छ बनाए रखने में मददगार साबित होगा। पुलिस का कहना है कि यह अभियान तब तक नहीं रुकेगा जब तक हर संदिग्ध बाबा और फर्जी साधु को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो जाती।





