सोशल मीडिया पर इस समय एक पिक्चर पज़ल ने धूम मचा रखी है। सैकड़ों पांडा की भीड़ में छिपे हैं सिर्फ तीन ऐसे पांडा, जिन्होंने सनग्लास नहीं पहना है। लेकिन ट्विस्ट ये है कि आपको इन्हें सिर्फ 5 सेकंड में ढूंढ निकालना है। देखने में आसान लगने वाली ये तस्वीर दिमाग को उलझाने वाली है, और यही इसे इतना मज़ेदार बना देती है।
अगर आप सोचते हैं कि आपकी नजरें तेज़ हैं और कोई भी चीज़ आपकी नज़रों से नहीं बच सकती, तो इस ब्रेन टीज़र (Brain Test) को ज़रूर आज़माइए। इस चुनौती को पूरा करने में कामयाब होने वाले लोग खुद को ‘शार्प माइंड’ मान सकते हैं। ये ना सिर्फ आपकी मानसिक चुस्ती का टेस्ट है, बल्कि आपके फोकस और डिटेल्स को पकड़ने की ताकत को भी परखता है।

तेज़ नज़र और तेज़ दिमाग वाले ही सुलझा पाएंगे ये पज़ल
इस वायरल IQ टेस्ट पज़ल में ढेर सारे पांडा एकसाथ खड़े हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ तीन ऐसे हैं जिन्होंने सनग्लासेस नहीं पहने हैं। अगर आप इस तस्वीर को हल्के में ले रहे हैं तो बता दें कि सिर्फ 5 सेकंड में इसे हल करना हर किसी के बस की बात नहीं है। ये टेस्ट न सिर्फ आपके देखने की क्षमता को चैलेंज करता है बल्कि आपकी फोकस पावर को भी परखता है।
ऑब्जर्वेशन स्किल्स को परखे ये पिक्चर पज़ल टेस्ट
सोशल मीडिया पर आजकल ऐसे कई पिक्चर पज़ल छाए हुए हैं जो लोगों के दिमाग को हिला देते हैं। लेकिन ये वाला खास है, क्योंकि इसमें नज़र की गहराई और दिमाग की तेजी दोनों की जरूरत है।
जिन्होंने इस पज़ल को हल किया, उनका कहना है कि यह एक मज़ेदार लेकिन चुनौतीपूर्ण अनुभव था। कई लोग पहले ही सेकंड में हार मान लेते हैं जबकि कुछ लोग आखिरी सेकंड तक देखकर भी नहीं पकड़ पाते कि कौन से पांडा बिना चश्मे के हैं।
पिक्चर पज़ल्स कैसे बढ़ाते हैं दिमाग की ताकत?
पिक्चर पज़ल्स को केवल टाइम पास मत समझिए। वैज्ञानिक रूप से भी ये साबित हो चुका है कि ऐसे विज़ुअल ब्रेन टीज़र से दिमाग की एक्टिविटी तेज़ होती है। खासकर जब सीमित समय में किसी चीज को ढूंढना हो, तो ये मानसिक रूप से काफी फायदेमंद साबित होता है।
इस तरह की चुनौतियां दिमाग के उन हिस्सों को एक्टिव करती हैं जो सामान्य रूप से कम इस्तेमाल होते हैं। इससे मेमोरी, निर्णय लेने की क्षमता और एनेलिटिकल स्किल्स में सुधार होता है।
आज के डिजिटल युग में जहां हर कोई स्क्रीन पर ही व्यस्त है, ऐसे पज़ल्स आंखों और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। यही वजह है कि स्कूल, कोचिंग सेंटर और यहां तक कि कॉर्पोरेट ट्रेनिंग में भी अब ऐसे गेम्स को शामिल किया जा रहा है।