इंसान के आंसू दो प्रकार के होते हैं: खुशी के और दुख के। जब कोई व्यक्ति खुशी के आंसू बहाता है, तो दाईं आंख से आंसू पहले गिरते हैं। वहीं, जब व्यक्ति दुख में होता है, तो आंसू बाईं आंख से पहले आते हैं।
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आजकल के हाई स्कूल के छात्रों का तनाव इतना बढ़ गया है कि 1950 के दशक में जिस मानसिक रोगी को इलाज की जरूरत होती थी, वो भी इतना तनाव महसूस करता था जितना आज का छात्र।
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सोने से पहले जिस व्यक्ति के बारे में आप सबसे आखिरी बार सोचते हैं, वो व्यक्ति आपकी खुशी या दुख का कारण होता है।
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अगर आप सोने के बाद खुद को यह यकीन दिलाते हैं कि आपकी नींद पूरी हो गई है, तो आपका दिमाग भी इस बात को सच मान लेता है, चाहे आपने पर्याप्त नींद ली हो या नहीं।
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जो लोग छोटी-छोटी बातों पर कसम खाते हैं, वे अक्सर ज्यादा ईमानदार होते हैं। वे अपने दोस्तों के साथ ईमानदारी और खुलकर व्यवहार करते हैं।
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जो व्यक्ति अक्सर झूठ बोलता है, वह दूसरों के झूठ को पकड़ने में माहिर हो जाता है, क्योंकि वह झूठ बोलने के संकेतों से भलीभांति माहिर होता है।
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जो लोग बहुत ज्यादा खुश रहते हैं, वे अक्सर कम बोलते हैं और अपनी भावनाओं को दूसरों के साथ एक्स्प्रेस करने की बजाय अपनी खुशी को भीतर ही महसूस करते हैं।
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इंसान का दिमाग खुद को एक बड़े झूठ पर यकीन दिलाने की क्षमता रखता है, अगर वो झूठ बार-बार दोहराया जाए। इस प्रक्रिया को "सत्य प्रभाव" (Illusory truth effect) कहते हैं।