5G इंटरनेट: हवाई जहाज से तेज चलने वाली ट्रेनों में इसका उपयोग कैसे संभव होगा
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चीन में जल्द ही हवाई जहाज से भी तेज चलने वाली ट्रेनों में यात्रियों को 5G इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। यह तकनीकी उपलब्धि हाई स्पीड ट्रेनों के लिए इंटरनेट सेवाओं की बाधाओं को दूर करने में मदद करेगी।
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वर्तमान में 350 किमी/घंटा तक की रफ्तार वाली तेज ट्रेनों में 5G इंटरनेट उपलब्ध है, लेकिन जब रफ्तार एक हजार किमी/घंटा से अधिक हो जाती है, तो मोबाइल सिग्नल के लगातार बने रहने की चुनौती बढ़ जाती है।
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साउथईस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि ट्रेन की वैक्यूम ट्यूब की अंदरूनी दीवारों पर दो समानांतर तार लगाए जाएं, तो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल का रिसाव सुनिश्चित कर सकता है, जिससे स्मार्टफोन और इंटरनेट सेवा के बीच स्थिर कनेक्शन बना रहेगा।
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प्रोफेसर सॉन्ग तेइचेंग की टीम ने बताया कि विशेष कोड्स का उपयोग फ्रीक्वेंसी बदलाव से उत्पन्न रुकावटों को दूर करने में किया जा सकता है। इस शोध की पुष्टि कम्प्यूटर मॉडल्स से भी हुई है।
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इन ट्रेनों की विशेषता उनकी वैक्यूम ट्यूब में यात्रा करना है, जिससे मैग्नेटिक लेविटेशन के जरिए ये अत्यंत तेज गति से चलती हैं। इस तकनीक से यात्रा की गति हवाई जहाज से भी तेज हो जाती है।
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चीन में शानझी प्रांत के दातोंग में मेगलेव ट्रेन वैक्यूम ट्यूब के लिए एक बड़ा रिसर्च सेंटर खोला गया है, जहां उच्च गति वाली प्रणोदन तकनीकों पर काम हो रहा है।
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इस हाइपरलूप अवधारणा को स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क ने पेश किया था। हालांकि, तकनीकी और वित्तीय बाधाओं के चलते मस्क ने इसे शुरू नहीं किया, लेकिन चीन ने इसे तेज़ी से विकसित किया है।
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भारत में तेज रफ्तार वाली ट्रेनों की संरचना और इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियां अभी भी बड़ी हैं, जिससे ऐसे तकनीकी विकास का क्रियान्वयन कठिन हो सकता है।
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