"एक भूतिया हवेली ने दो सितारों की किस्मत पलट दी, पत्नी के एक डर ने छीन ली एक्टर की चैन की नींदें।"
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गायक गीता दत्त को पाली हिल स्थित उनके बंगले में कुछ अजीब महसूस होता था। उन्हें लगता था कि वहां एक भूत साया है, जिसने उनकी शादीशुदा जिंदगी को बर्बाद कर दिया।
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गुरु दत्त का यह बंगला उनका ड्रीम होम था, जिसे उन्होंने बड़े शौक से बनाया था। लेकिन पत्नी के डर और रिश्ते के तनाव के चलते उन्होंने खुद उस बंगले को तुड़वाने का फैसला किया।
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गीता ने उस घर को उनके टूटते रिश्ते की जड़ मान लिया था। उन्हें वहां रखी बुद्ध की मूर्ति, एक पेड़ और माहौल में कुछ 'अशुभ' नजर आता था, जिससे वह डरी रहती थीं।
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उन्होंने कहा था, "घर न होने की तकलीफ से घर होने की तकलीफ और भयानक होती है।" अपने सपनों का घर टूटते देख उनका दिल भी चकनाचूर हो गया था।
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गीता की जिद के बाद जब बंगला टूटने लगा, गुरु दत्त रातें स्टूडियो में गुजारने लगे। वह अपने ऑफिस के एक छोटे कमरे में सोते थे क्योंकि घर उनके लिए पीड़ा का कारण बन चुका था।
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'साहिब बीबी और गुलाम' के लेखक बिमल मित्रा जब गुरु दत्त के आमंत्रण पर मलबा देखे, तो सुन्न रह गए। उन्होंने बताया कि कभी सुंदर दिखने वाला वह बंगला अब सिर्फ टूटी ईंटों और लकड़ी का ढेर था।
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बंगले के टूटने के बाद गुरु दत्त और गीता का रिश्ता भी पूरी तरह बिखर गया। गुरु दत्त अलग अपार्टमेंट में अकेले रहने लगे और गीता बच्चों के साथ दूसरे घर में चली गईं।
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इस साइकलाजिकल और ईमोशनल बोझ ने दोनों की ज़िंदगी तबाह कर दी। गुरु दत्त की मृत्यु महज 39 साल की उम्र में हो गई और गीता दत्त का निधन भी केवल आठ साल बाद हुआ।
यह हीरोइन लाइटमैन के साथ ज़मीन पर बैठकर खाती थी खाना, एंकर से सुपरस्टार बनने तक का सफर, लेकिन पूरी ज़िंदगी झेलती रही ‘दूसरी औरत’ का ठप्पा।