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छतरपुर में मां भद्रकाली का प्राचीन मंदिर: दानवीर कर्ण से जुड़ा 52 शक्तिपीठों में से एक

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छतरपुर जिले के बदौराकलां गांव में स्थित मां भद्रकाली का यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां मां को भद्रकाली के रूप में पूजा जाता है, और मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत प्राचीन है।

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मंदिर का दानवीर कर्ण से गहरा संबंध है। कहा जाता है कि स्वयं मां भद्रकाली ने कर्ण को सोने का आशीर्वाद दिया, जिसे वह ब्राह्मणों और गरीबों में दान करते थे। इस पवित्र स्थान पर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कर्ण ने विशेष स्थान पाया है।

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मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता इसकी चमत्कारी चट्टान है। पहले इस चट्टान का आकार छोटा था, और भक्तों को लेटकर दर्शन करने पड़ते थे, लेकिन अब यह चट्टान इतनी बड़ी हो गई है कि भक्त खड़े होकर मां के दर्शन कर सकते हैं।

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यहां हर साल कार्तिक और वैशाखी पूर्णिमा पर भव्य मेले का आयोजन होता है। इस अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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मंदिर में साल में दो बार नवदुर्गा उत्सव के समय भी मेला लगता है। इस समय यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं और धार्मिक आयोजन में शामिल होते हैं।

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 पुजारी शिव नारायण शर्मा के अनुसार, इस मंदिर में मां भद्रकाली की पूजा उनके परिवार की 6 पीढ़ियों से चली आ रही है। यह मंदिर सदियों से भक्तों का आस्था का केंद्र बना हुआ है।

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मुंबई, दिल्ली और अन्य दूरस्थ क्षेत्रों से भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं। जिनकी भी मनोकामना पूरी होती है, वे मंदिर के विकास में योगदान देते हैं।

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मंदिर में जो भक्त आस्था और श्रद्धा से आते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस पवित्र स्थान पर माता का आशीर्वाद लेने के लिए हर साल हजारों भक्त आते हैं।

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