देवानंद का भांजा, लंदन की नौकरी छोड़कर बन बैठा डायरेक्टर, 1987 में दी ऐसी ब्लॉकबस्टर चमक उठा अनिल कपूर का करियर
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शेखर कपूर, बॉलीवुड के सुपरस्टार देवानंद के भांजे हैं। हालांकि, उन्होंने इंडस्ट्री में अपने दम पर नाम कमाया और मामा के कनेक्शन का कभी फायदा नहीं उठाया।
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शेखर ने लंदन में चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में काम किया, लेकिन सिनेमा के प्रति जुनून उन्हें भारत वापस खींच लाया। यहां उन्होंने निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा।
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1975 में फिल्म ‘जान हाजिर हो’ से निर्देशन की शुरुआत की। लेकिन इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।
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1987 की कल्ट फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, बल्कि अनिल कपूर के करियर को नई ऊंचाइयां दीं। यह भारत की पहली सुपरहीरो फिल्म साबित हुई।
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शेखर कपूर ने बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड में भी पहचान बनाई। उन्होंने ‘द फोर फेदर्स’ और ‘एलिजाबेथ-I’ जैसी इंटरनेशनल फिल्मों का निर्देशन किया, जो खूब सराही गईं।
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‘बैंडिट क्वीन’ और ‘मिस्टर इंडिया’ जैसी फिल्मों के जरिए शेखर कपूर ने सिनेमा के इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनकी फिल्में समाज और इतिहास को जोड़ने वाली कहानियों के लिए जानी जाती हैं।
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शेखर कपूर को 2000 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। 1998 में उन्हें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड भी मिला, जो उनकी प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देता है।
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शेखर ने पहली शादी मेधा से की, जो बाद में अनूप जलोटा की पत्नी बनीं। उनकी दूसरी शादी सुचित्रा कृष्णमूर्ति से हुई, लेकिन यह भी लंबे समय तक टिक नहीं पाई।
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