आज मेकअप हर किसी के जीवन का हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या अपको पता है यह सदियों से अलग अलग रुप में इंसानों के साथ था। इंसानी सभ्यता की शुरूआत से मेकअप के कई प्रमाण मिले हैं।

तो आईए चलते हैं आज मेकअप के इतिहास के इस रोचक सफर में और जानते हैं इसके बारे में कुछ रोचक बातें।

Eyeliner को मेकअप का सबसे पुराना तरीका माना जाता हैं। आज भले ही काजल का इस्तेमाल आंखों को खूबसूरत बनाने के लिए जाता है लेकिन पुराने जमाने में इसका इस्तेमाल सूरज से बचने के लिए किया जाता था, इसका इस्तेमाल महिला और पुरूष दोनों करते थे।

Egypt में लोग आईशैडो का इस्तेमाल भी करते थे। वो लोग Copper ore (तांबे का अयस्क) का इस्तेमाल आईशैडो के तौर पर करते थे।

आज कल चेहरे को गोरा बनाने के लिए फाउंडेशन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या अपको पता है प्राचीन काल में इसके जगह चावल के पाउडर का इस्तेमाल किया जाता था।

मेकअप को एक लहर भारत से मिली। प्राचीन काल में भारत में काजल का उत्पादन चंदन और अन्य चीजों को जला कर उसे घी में मिला कर किया जाता था।

कई ऐसे प्रोडक्ट से जिसका इस्तेमाल निचले लेवल की महिलाएं नही कर पाती थी। रोमन राज्य में लिपस्टिक सेक्स वर्कर से जुड़ा होता है, ऐसा माना जाता है।

चेहरे को गोरा करने के लिए भारतीय महिलाएं कोस्टोस रूट, तिल के बीज, लेबेक के पत्ते, पोंगामिया मटर के पत्ते, देवदार की लकड़ी और बरबेरी की लकड़ी को सुखा कर, भून कर और पाउडर बना कर एक विशेष कॉस्मेटिक बनाते थे।

प्राचीन काल में बिंदी तीसरी आंख कहलाती थी। शादी शुदा महिलाओं के जीवन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती थी।

भारत में फूलों और तेल से लिप्स्टिक बनाई जाती थी। इतना ही नहीं कॉस्मेटिक बनाने में दाल और शहद भी बहुत जरूरी होता था।

पुराने दौर में जहां मेकअप जाति और स्टैटस में बंटा वो भी खत्म हुआ। फिल्मों, नाटकों और मीडिया ने मेकअप को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई।

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