क्या आपका बच्चा पढ़ाई से दूर भागता है, ये टिप्स होंगे कारगर

अक्सर बच्चे पढ़ाई से  जी चुराने लगते हैं और इससे बचने के लिए कोई न कोई बहाना बनाते हैं। अगर आपका बच्चा भी पढ़ाई से दूर भागता हो, तो कुछ बातों पर खास तौर पर ध्यान देना जरूरी होगा।

अक्सर यह देखने में आता है कि पेरेन्ट्स पढ़ाई करने के लिए बच्चों पर दबाव बनाने लगते हैं। कई बार जब बच्चा किसी दूसरे काम में लगा होता है, तो पेरेन्ट्स उसे बार-बार पढ़ने के लिए कहते हैं। ऐसे में, बच्चा पढ़ने के लिए बैठ तो जाएगा, लेकिन उसका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। वह एक तरह का दबाव महसूस करेगा और इससे पढ़ाई की तरफ उसका झुकाव कम होने लगेगा। इसलिए कभी भी बच्चें पर पढ़ाई के लिए दबाव मत बनाएं।

पढ़ाई के लिए दबाव मत बनाएं

बच्चों की पढ़ाई के लिए समय तय होना चाहिए। आजकल बच्चों पर स्कूल और होमवर्क का काफी दबाव रहता है। घर पर ट्यूशन पढ़ने या कोचिंग क्लासेस में भी काफी बच्चे जाते हैं। इससे उन्हें दूसरे कामों के लिए समय कम मिल पाता है। इसे देखते हुए घर में उनकी पढ़ाई का एक समय तय रखना चाहिए। बच्चों की पढ़ाई का समय तय करने के पहले उनसे इसके बारे में बात भी करनी चाहिए। इससे बच्चे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पढ़ने बैठेंगे।

पढ़ाई के लिए समय तय रखें

बच्चों की पढ़ाई के लिए सही जगह का होना जरूरी है। उनका पढ़ने का कमरा अलग होना चाहिए। अघर अलग कमरे की व्यवस्था नहीं हो, तो उनकी पढ़ाई के लिए ढंग से कुर्सी-मेज और किताबों के लिए रेक की व्यवस्था होनी चाहिए। उनके पढ़ने की जगह साफ-सुथरी और शांत होनी चाहिए।

पढ़ाई के लिए सही जगह का करें चुनाव

जो बच्चे बड़े हो जाते हैं, उनमें जिम्मेदारी की भावना विकसित हो जाती है। वे अपने तय प्रोग्राम के हिसाब से पढ़ाई करते हैं, लेकिन छोटे बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता। पढ़ाई में उनका इंटरेस्ट जगाने के लिए आपको कुछ खास तरीके अपनाने पड़ेंगे। आजकल खेल-खेल में पढ़ाने की टेक्नीक काफी कारगर हो रही है। इसके लिए कई तरह की चीजें भी बाजार में मिलती हैं। इनके इस्तेमाल से बच्चे खेल-खेल में कई चीजें सीख लेते हैं।

छोटे बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाएं

कई पेरेन्ट्स की आदत होती है कि वे दूसरे बच्चों के साथ अपने बच्चों की तुलना करते हैं और उन्हें कमतर दिखाने की कोशिश करते हैं। पेरेन्ट्स को लगता है कि ऐसा करने से उनके बच्चे ज्यादा पढ़ाई करेंगे। लेकिन इसका असर गलत पड़ता है। हर बच्चा एक-दूसरे से अलग होता है। तुलना करने और किसी से कमजोर साबित करने पर बच्चों में हीन भावना विकसित होने लगती है, जिसका आगे उनकी पर्सनैलिटी के डेवलपमेंट पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए ऐसा कभी नहीं करना चाहिए।

दूसरे बच्चों से मत करें तुलना