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क्या पार्टनर नहीं करता कमिटमेंट? सीक्रेट रिलेशनशिप से जुड़ी ये 8 बातें समझें

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आज के डिजिटल दौर में प्यार वर्चुअल हो गया है। डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया ने रिश्तों को त्वरित और अस्थिर बना दिया है, जहां रिश्ते जल्दी बनते हैं और उतनी ही तेजी से खत्म हो जाते हैं।

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बैंचिंग: किसी को अपने साथ जोड़े रखना, लेकिन गंभीर रिश्ता न बनाना। यह रिश्ते सिर्फ जरूरतों, जैसे समय बिताने और इमोशनल सपोर्ट, के लिए होते हैं। कुशनिंग: पहले से किसी रिश्ते में होने के बावजूद बैकअप के लिए किसी और को तैयार रखना।

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 युवा अब रिश्ते को सोशल मीडिया पर फोटो के जरिए दिखाते हैं, लेकिन पार्टनर का चेहरा नहीं दिखाते। यह दर्शाता है कि वे रिश्ते को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।

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आजकल के युवा बिना कमिटमेंट वाले रिश्तों को पसंद करते हैं। जिम्मेदारी से बचने के लिए वे रिश्ता खत्म कर देते हैं, जिससे लिव-इन रिलेशनशिप का ट्रेंड बढ़ा है।

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जेनरेशन Z को रिश्तों में प्रयोग करना पसंद है। एक ही पार्टनर पर टिकने की बजाय वे कई विकल्प रखते हैं। उनके लिए प्यार सोशल मीडिया की एक्सेप्ट, रिजेक्ट, और ब्लॉक पर चलता है।

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ऐसे रिश्तों में व्यक्ति सिर्फ अपनी खुशी के लिए दूसरों की भावनाओं से खेलता है। इससे सामने वाले का दिल टूट सकता है और रिश्ते धोखा साबित हो सकते हैं।

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 पार्टनर से रिश्ते के भविष्य पर सवाल पूछें। रिश्ते को सार्वजनिक करने की बात करें। जरूरत के समय पार्टनर की गैरमौजूदगी से सतर्क रहें। ऐसे रिश्तों से दूरी बनाएं जो टाइम वेस्ट लगें।

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सर्दियों में स्ट्रेस बढ़ने और हैप्पी हॉर्मोन्स कम बनने से लोग अकेलापन दूर करने के लिए पार्टनर ढूंढते हैं। पार्टनर से मिलने वाली वॉर्म फीलिंग और ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन के कारण मूड बेहतर रहता है।

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