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Explainer: एक जमाने में अमेरिका की थी पनामा नहर, ट्रम्प फिर क्यों चाहते हैं इस पर कंट्रोल? जानें पूरी कहानी

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पनामा नहर उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है। इसके बनने से एशिया से अमेरिकी महाद्वीप के पूर्वी हिस्सों तक का समुद्री मार्ग हजारों किलोमीटर छोटा हो गया।

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1904 में अमेरिका ने पनामा नहर के निर्माण का जिम्मा लिया। प्राकृतिक बाधाओं, जल स्तर के अंतर, और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को गेट और लॉक तकनीक से सुलझाते हुए इसे 1914 में पूरा किया गया।

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पनामा नहर का नियंत्रण शुरू में अमेरिका के पास था। इसे बनाने और संचालित करने में अमेरिका ने भारी संसाधन और तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग किया।

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1977 में हुई Torrijos-Carter संधि के तहत, पनामा नहर को 1999 तक अमेरिका से पनामा को सौंपने का फैसला लिया गया। 31 दिसंबर 1999 से यह पूरी तरह पनामा सरकार के नियंत्रण में है।

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हाल ही में सूखे की स्थिति ने नहर की जहाज आवाजाही को प्रभावित किया। इसके अलावा, पनामा द्वारा जहाजों से अतिरिक्त शुल्क लेने के फैसले पर अमेरिका ने आपत्ति जताई।

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संकेत दिया है कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण पाने की कोशिश कर सकता है। उनका मानना है कि पनामा नहर अमेरिका के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

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ट्रम्प ने दावा किया है कि पनामा नहर पनामा को सौंपना अमेरिका की गलती थी। उनका प्रशासन इसे वैश्विक व्यापार में अमेरिका के प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए पुनः नियंत्रित करना चाहता है।

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अगर अमेरिका पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण पाने की कोशिश करता है, तो यह न केवल पनामा बल्कि अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ भी तनाव को जन्म दे सकता है। यह नहर वैश्विक व्यापार और इंजीनियरिंग में अपनी अनूठी भूमिका के कारण विशेष महत्व रखती है।

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