Explainer: तारे की हुई रहस्यमयी मौत से साइंटिस्ट्स हुए हैरान, नहीं हुआ अंतिम समय में कोई विस्फोट!
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तारों का अंत सामान्यत: एक सुपरनोवा विस्फोट से होता है, लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक तारे की खोज की है जो बिना किसी विस्फोट के चुपचाप मरा और ब्लैक होल बन गया। यह खोज वैज्ञानिकों के लिए चौंकाने वाली थी।
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आमतौर पर जब तारे का जीवन समाप्त होता है, तो वह एक विशाल विस्फोट (सुपरनोवा) करता है, जिसके बाद वह ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारा छोड़ता है। यह प्रक्रिया बहुत चमकदार और लंबी होती है, लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ।
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तारों के जीवन में फ्यूजन और गुरुत्वाकर्षण का संतुलन उन्हें सक्रिय रखने में मदद करता है। जैसे-जैसे हाइड्रोजन समाप्त होता है, फ्यूजन कमजोर पड़ता है, जिससे तारा ढहकर एक विस्फोट करता है। लेकिन इस तारे ने यह सब नहीं किया।
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खगोलविदों ने एक ऐसे तारे की खोज की, जिसने सुपरनोवा विस्फोट किए बिना सीधे ब्लैक होल में परिवर्तित हो गया। यह घटना बहुत दुर्लभ और अद्वितीय है।
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यह घटना M31 गैलेक्सी में घटी, जहाँ एक हाइड्रोजन-रहित सुपरजाइंट तारा बिना विस्फोट के गायब हो गया। इस प्रकार की घटनाएं "कोर-कोलैप्स सुपरनोवा" कहलाती हैं और ये बहुत ही दुर्लभ होती हैं।
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इस ब्लैक होल को M31-2014-DS1 नाम दिया गया। इसे पहली बार 2014 में मिड-इन्फ्रारेड में देखा गया था और यह 1,000 दिनों तक बेहद चमकीला रहा, फिर अचानक फीका पड़ गया।
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वैज्ञानिकों ने 2023 में डीप ऑप्टिकल और नियर-आईआर इमेजिंग से इस तारे का अध्ययन किया, लेकिन कोई विस्फोट का प्रमाण नहीं मिला। इसके आसपास केवल धूल का एक आवरण पाया गया।
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रिसर्च का कहना है कि इस तारे की अचानक लुप्त होती चमक इसके परमाणु दहन के समाप्त होने और बाद में आए झटकों का संकेत देती है, जो पदार्थ को दूर करने में नाकाम रहे। इससे यह साबित हुआ कि तारों का अंत जितना सामान्य समझा जाता है, वह उतना साधारण नहीं है।
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