Explainer: लैब में बने छोटे दिमाग ने स्पेस में चौंकाया, वैज्ञानिक तक हुए परेशान, ये हुआ कैसे?
mpbreakingnews
वैज्ञानिकों ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजे गए छोटे इंसानी दिमाग (ऑर्गेनॉइड्स) में पाया कि यह माइक्रोग्रैविटी में तनाव और सूजन के कम संकेत देता है, जो धरती की स्थितियों से बिल्कुल अलग है।
mpbreakingnews
यह मिनी दिमाग लैब में प्लूरिपोटेंट स्टेम सेल्स से तैयार किया गया था। इसे न्यूरॉन्स के टीशू से बनाया गया और धरती के दिमाग से तुलना के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया।
mpbreakingnews
स्पेस में भेजे गए ऑर्गेनॉइड्स ने धरती के मुकाबले तेजी से परिपक्व होने की प्रक्रिया दिखाई। यह बदलाव वैज्ञानिकों के लिए अप्रत्याशित और चौंकाने वाला था।
mpbreakingnews
इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य माइक्रोग्रैविटी में इंसानी दिमाग पर असर और पार्किंसंस जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों पर संभावित प्रभाव का अध्ययन करना था।
mpbreakingnews
प्रयोग में स्वस्थ इंसानों और दिमागी विकारों से पीड़ित लोगों के दिमागी टीशू से तैयार दो प्रकार के ऑर्गेनॉइड्स का उपयोग किया गया। इससे माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव की गहरी तुलना की गई।
mpbreakingnews
धरती पर रह गए ऑर्गेनॉइड्स की तुलना में स्पेस में भेजे गए ऑर्गेनॉइड्स में जीन अभिव्यक्ति और कोशिका परिपक्वता में बड़ा अंतर पाया गया। इनमें सूजन और तनाव से जुड़े जीन कम सक्रिय थे।
mpbreakingnews
स्पेस में सेल्स ने धीमी गति से प्रजनन किया, लेकिन परिपक्वता की प्रक्रिया तेजी से पूरी की। यह दर्शाता है कि माइक्रोग्रैविटी का असर सेल्स की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया पर पड़ता है।
mpbreakingnews
यह प्रयोग भविष्य में माइक्रोग्रैविटी का इस्तेमाल करके दिमागी बीमारियों के इलाज या रिसर्च में नए दरवाजे खोल सकता है। वैज्ञानिक अब माइक्रोग्रैविटी के गुणों का गहराई से अध्ययन करेंगे।
Explainer: अगर सही नहीं लगाए तो शहर को गर्म कर सकते हैं पेड़, जानें क्या है वजह?