Explainer: क्या होता है मोस्ट फेवर्ड नेशन, स्विट्जरलैंड ने भारत का यह दर्जा क्यों वापस लिया
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स्विट्जरलैंड ने भारत का एमएफएन दर्जा समाप्त कर दिया है। यह फैसला भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश के बाद लिया गया, जिसमें डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) को लागू करने के लिए इसे इनकम टैक्स एक्ट के तहत अधिसूचित करने की शर्त लगाई गई थी।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण स्विस कंपनियों, जैसे नेस्ले, को भारत में अब अधिक टैक्स देना होगा। यह फैसला 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा।
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भारतीय कंपनियों को स्विट्जरलैंड में अर्जित इनकम पर अधिक टैक्स कटौती का सामना करना पड़ेगा। यह स्थिति भारत-स्विट्जरलैंड व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
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एमएफएन का मतलब है व्यापार में गैर-भेदभाव। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के तहत, हर सदस्य देश को दूसरे सदस्यों के साथ समान व्यवहार करना होता है। इससे व्यापारिक संबंध मजबूत होते हैं और किसी भी देश को अन्य देशों के मुकाबले नुकसान नहीं होता।
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इस दर्जा से देशों के बीच शुल्कों में कटौती और कुछ वस्तुओं का शुल्क-मुक्त आयात-निर्यात होता है। विकासशील देशों को इस दर्जे से बड़ा बाजार मिलता है, जिससे उनके उत्पाद वैश्विक बाजार में आसानी से पहुंच पाते हैं।
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डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य देश वैश्विक व्यापार का 98% हिस्सा नियंत्रित करते हैं। एमएफएन का उद्देश्य है गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार संबंध स्थापित करना, जिससे सभी देशों को समान अवसर मिल सके।
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डब्ल्यूटीओ के आर्टिकल 21बी के तहत, सुरक्षा मुद्दों या विवाद के कारण एमएफएन दर्जा वापस लिया जा सकता है। हालांकि, भारत और स्विट्जरलैंड के मामले में कारण अलग है। यह डबल टैक्सेशन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़ा मामला है।
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नेस्ले जैसे स्विस व्यवसायों पर पड़े प्रभाव और टैक्स नियमों में बदलाव के चलते स्विट्जरलैंड ने एमएफएन दर्जा निलंबित किया। इस निर्णय से दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
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