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GK: सौरमंडल के इस अकेले ग्रह की दिखती है पूंछ, जानें क्या है वजह?

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बुध ग्रह पर वायुमंडल के पतले होने और सूर्य की रोशनी के प्रभाव से सोडियम के कण उत्तेजित होकर अंतरिक्ष में बहते हैं। इन कणों की धाराएं दूर से धूमकेतु जैसी पूंछ का आभास देती हैं।

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बुध सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है और आकार में यह पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा ही बड़ा है। लेकिन इसके छोटे होने के बावजूद इसकी संरचना और विशेषताएं इसे बेहद खास बनाती हैं।

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बुध सूर्य से केवल 5 करोड़ 93 लाख 54 हजार किलोमीटर दूर है, जो इसे सौरमंडल का सबसे नजदीकी ग्रह बनाता है। इसके बावजूद यहां कुछ जगहों पर बर्फ मौजूद है।

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बुध के ध्रुवीय इलाकों में सूर्य की किरणें कभी नहीं पहुंच पातीं। इस कारण वहां हमेशा बर्फ जमी रहती है, जो कभी पिघलती नहीं। यह विशेषता बुध को बेहद अनूठा बनाती है।

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बुध का एक साल (सूर्य का चक्कर लगाने का समय) सिर्फ 88 दिनों का होता है, लेकिन इसका एक दिन (अपना चक्कर लगाने का समय) पृथ्वी के 59 दिनों के बराबर होता है।

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बुध पर वायुमंडल बेहद पतला है, जिससे गर्मी लंबे समय तक टिक नहीं पाती। दिन के समय ग्रह तेजी से गर्म होता है और रात में उतनी ही तेजी से ठंडा हो जाता है। इस कारण वहां दिन-रात के तापमान में बड़ा अंतर देखने को मिलता है।

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बुध के पास पृथ्वी की तुलना में कमजोर लेकिन सक्रिय मैग्नेटिक फील्ड है। यह फील्ड मैग्नेटिक तूफान और टोरनेडो जैसे घटनाओं का कारण बनती है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक समस्या है।

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बुध का वायुमंडल बेहद पतला है, जिसे "एक्जोस्फियर" कहा जाता है। इसमें ऑक्सीजन, सोडियम, हाइड्रोजन, हीलियम और पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं। इसी पतले वायुमंडल के कारण इसकी पूंछ जैसी संरचना बनती है।

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