गूगल ने डूडल के जरिए मंगलवार को भारतीय मौसम विज्ञानी अन्ना मणि को याद किया. आज उनका 104वां जन्मदिन है.
अन्ना मणि वो महिला थी जिनके कारण देश में मौसम की भविष्यवाणी करना आसान हुआ. उन्होंने मौसम की भविष्यवाणी करने वाले ऐसे उपकरण तैयार किए जिनसे सटीक जानकारी मिलना आसान हुआ. जानिए, कैसी रही है उनकी जर्नी...
23 अगस्त, 1918 को केरल के पीरूमेडू में जन्मीं मौसम विज्ञानी अन्ना मणि को ‘भारत की मौसम महिला’ के नाम से जाना जाता है. उन्होंने 1939 में चेन्नई (मद्रास) से प्रेसिडेंसी कॉलेज से फिजिक्स और केमेस्ट्री में ग्रेजुएशन किया.
लंदन में पढ़ाई करते हुए वो मौसम से जुड़े इक्विपमेंट को इस्तेमाल करने में एक्सपर्ट हो गईं. पढ़ाई और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 1948 में भारत लौटीं.
अपनी पहली नौकरी की शुरुआत मौसम विभाग से की. उन्होंने ऐसे कई उपकरणों को तैयार किया जो मौसम की भविष्यवाणी करने का काम करते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने मौसम विज्ञान और उससे जुड़े उपकरणों पर कई रिसर्च पेपर भी लिखे.
उनकी उपलब्धियों और मौसम अनुमान के क्षेत्र में जज्बे को देखते हुए 1969 में भारतीय मौसम विभाग का उप महानिदेशक नियुक्त किया गया. इतना ही नहीं, उन्होंने उस दौर में ओजोन परत पर रिसर्च की थी.
1976 में वो भारतीय मौसम विभाग की उप-निदेशक के पद से रिटायर हुईं. अन्ना मणि महात्मा गांधी और उनकी सोच से काफी प्रभवित रहीं.
यही वजह है कि वो हमेशा खादी और स्वदेशी कपड़े पहनती थीं. अपने क्षेत्र में खास उपलब्धियां हासिल करने के लिए उन्हें 1987 में के आर रामानाथ मेडल से नवाजा गया. 16 अगस्त, 2001 को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में उन्होंने अंतिम सांस ली.