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धरती की सतह पर कैसे और कहां से आता है सोना? वैज्ञानिकों ने खंगाल कर निकाली पूरी कहानी

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पृथ्वी पर मिलने वाला सोना न्यूट्रॉन तारों के टकराव से बना था, जो सूर्य के जन्म से भी पहले की घटना है। इसके अलावा सोने के निर्माण की कोई और प्रक्रिया नहीं है।

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वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर सोना बाहरी स्रोतों से नहीं आया, जैसे कि क्षुद्रग्रहों से। क्योंकि क्षुद्रग्रहों में इतना सोना नहीं मिला है कि इसे पृथ्वी पर सोने का स्रोत माना जा सके।

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पृथ्वी के मेंटल में जमा सोना ज्वालामुखीय गतिविधियों और सल्फर के साथ रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण मैग्मा के साथ सतह तक आया।

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वैज्ञानिकों ने "गोल्ड-ट्राइसल्फर कॉम्पलेक्स" की खोज की, जिसने यह स्पष्ट किया कि सोना मैग्मा के साथ मेंटल से सतह तक कैसे पहुंचता है। यह अध्ययन "प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस" में प्रकाशित हुआ।

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सामान्य परिस्थितियों में सोना स्वतंत्र रूप में मेंटल में रहना पसंद करता है। लेकिन सल्फर के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करके यह "गोल्ड-ट्राइसल्फर कॉम्पलेक्स" में बदल जाता है, जो अस्थिर होता है और ऊपर की ओर बढ़ने लगता है।

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सोने के सतह तक पहुंचने के लिए सबडक्शन जोन (जहां एक टेक्टोनिक प्लेट दूसरी के नीचे जाती है) आवश्यक है। यहां दबाव और तापमान के सटीक हालात मैग्मा को सतह तक ले जाते हैं।

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सोने को मैग्मा के साथ सतह तक लाने के लिए 875°C का तापमान और 50-80 किमी गहराई पर दबाव की आवश्यकता होती है। यह सक्रिय ज्वालामुखियों के नीचे मिलने वाले सामान्य तापमान और दबाव के करीब है।

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सबडक्शन जोन के आसपास कुछ मिन्रल में सोना अधिक पाया जाता है। यह "गोल्ड-ट्राइसल्फर कॉम्पलेक्स" की प्रक्रिया का परिणाम है, जो इस मिन्रल एरिया को सोने के लिए समृद्ध बनाता है।

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