रात के अंधेरे में भी कैसे इतना साफ देख पाते हैं उल्लू? आंखों में ऐसा क्या लगा है
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उल्लू की आंखें रात में देखने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई हैं, जिससे वह दिन की तेज रोशनी में बेहतर नहीं देख पाता। यही कारण है कि उल्लू दिन में कम सक्रिय रहता है और रात को शिकार करता है।
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उल्लू की आंखों में रॉड सेल्स की संख्या इंसानों की तुलना में बहुत अधिक होती है। ये सेल्स कम रोशनी में काम करते हैं, जिससे वह रात के समय अपने शिकार को स्पष्ट रूप से देख पाता है।
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उल्लू की आंखों में कोन सेल्स की संख्या कम होती है, जो दिन के समय रंग और तेज रोशनी पहचानने में मदद करते हैं। यही वजह है कि दिन के उजाले में उल्लू की दृष्टि कमजोर हो जाती है।
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उल्लू की आंखों में एक खास परत होती है जिसे "टेपेटम ल्यूसिडम" कहते हैं। यह परत आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी को परावर्तित करती है, जिससे उसकी रात की दृष्टि और भी तेज हो जाती है।
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उल्लू की आंखें उसकी खोपड़ी की हड्डियों में स्थिर रहती हैं, इसलिए वे घूम नहीं सकतीं। लेकिन उसका सिर 270 डिग्री तक घूम सकता है, जो उसे चारों ओर देखने की क्षमता देता है।
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उल्लू निशाचर पक्षी है, जो रात में सक्रिय रहता है और दिन में आराम करता है। उसकी तीव्र दृष्टि और सुनने की शक्ति उसे अंधेरे में शिकार करने में माहिर बनाती है।
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उल्लू की सुनने की क्षमता इतनी तेज होती है कि वह घास या पेड़ों के नीचे छिपे शिकार की हलचल भी पहचान सकता है। उसके कानों का आकार और स्थान शिकार की दिशा का पता लगाने में मदद करते हैं।
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अपनी अद्वितीय दृष्टि और सुनने की शक्ति के साथ, उल्लू बहुत ही शांत तरीके से शिकार करता है। यह उसे रात के समय अंधेरे में भी सफल शिकारी बनाता है।
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