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अगर 'शोले' का वो जबरदस्त सीन डिलीट नहीं हुआ होता, तो क्लाइमैक्स और भी धमाकेदार होता; वीरू-ठाकुर के भावुक पल का ऐसा नजारा शायद ही कभी देखा हो।

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फिल्म 'शोले' का क्लाइमैक्स वर्जन सिनेमाघरों में कभी रिलीज नहीं हुआ, क्योंकि सेंसर बोर्ड ने क्लाइमैक्स सीन पर आपत्ति जताई थी।

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रमेश सिप्पी की इच्छा थी कि गब्बर सिंह को ठाकुर मारें, लेकिन सेंसर बोर्ड ने कानून को अपने हाथ में लेने के इस सीन को अस्वीकार कर दिया।

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सेंसर बोर्ड को गब्बर और ठाकुर की लड़ाई के हिंसक सीन पर भी आपत्ति थी, जहां ठाकुर गब्बर को लातों से मारते हैं।

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फिल्म का एक भावुक सीन, जिसमें ठाकुर गब्बर को खत्म करने के बाद वीरू से गले लगकर रोते हैं, सेंसर बोर्ड ने हटवा दिया।

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डाकू गब्बर सिंह का अहमद पर अत्याचार वाला सीन, जिसमें वह उसके बाल पकड़कर जुल्म करता है, सेंसर बोर्ड ने फिल्म के क्लाइमैक्स वर्जन से हटवा दिया।

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धर्मेंद्र शुरुआत में ठाकुर का रोल निभाना चाहते थे, लेकिन बाद में वीरू का किरदार चुना, ताकि उनकी हीरोइन उन्हें ही मिले।

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'शोले' के डायलॉग और किरदार आज भी दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। इसे 50 साल बाद भी टीवी और सिनेमाघरों में देखने का क्रेज है।

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15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई इस फिल्म की कहानी सलीम-जावेद ने लिखी थी और इसमें धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, और अमजद खान जैसे सितारे थे।

मैं निर्देशक हूं, तुम्हें कुछ भी नहीं आता जब फिल्ममेकर स्टारकिड पर गुस्से में आ गए और सेट पर जमकर फटकार लगा दी