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भारत में 60 वर्षों में स्वदेशी विमान और हेलिकॉप्टर निर्माण: हिट और मिस प्रोजेक्ट्स

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स्वदेशी विमान निर्माण की शुरुआत: भारत ने 1960 के दशक में अपने दम पर फाइटर जेट, विमान और हेलीकॉप्टर बनाना शुरू किया। कुछ प्रोजेक्ट्स सफल नहीं हुईं

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सी-295 का निर्माण: हाल ही में भारत और स्पेन के बीच हुए समझौते के बाद वडोदरा में टाटा संयंत्र में 40 सी-295 मालवाहक विमान बनाए जाएंगे। 2026 तक इस संयंत्र से पहला मेड इन इंडिया सी-295 विमान तैयार होगा।

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स्वदेशी परियोजनाओं में HAL की भूमिका: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विमान, हेलिकॉप्टर, और फाइटर जेट्स के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई है। HAL ने कई भारतीय वायुसेना प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा किया।

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तेजस का महत्व: स्वदेशी फाइटर विमान 'तेजस' अपेक्षाओं पर खरा उतरा और आजादी के बाद बने अन्य भारतीय विमानों की तुलना में अधिक सफल हुआ है, जो अब भारतीय वायुसेना का गर्व है।

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इनिशल प्रयास - बसंत विमान: 1968 में HAL ने भारत का पहला कृषि विमान 'बसंत' बनाया, जो निगरानी के लिए था। इसका 39 यूनिट उत्पादन हुआ, लेकिन 1980 में उत्पादन रोक दिया गया।

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फार्मर विमान का विकास: चार सीटों वाला हल्का विमान 'कृषक' का निर्माण HAL ने किया, जिसे सेना में शामिल किया गया। हालांकि, 70 के दशक में इसे बंद कर दिया गया।

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 पहला फाइटर-बॉम्बर विमान मारुत: 1960 के दशक में, जर्मन डिजाइनर कुर्त टैंक के सहयोग से भारत का पहला जेट फाइटर-बॉम्बर 'एचएएल मारुत' बनाया गया। यह एक उल्लेखनीय परियोजना थी, क्योंकि इससे पहले किसी एशियाई देश ने ऐसा विमान नहीं बनाया था।

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भविष्य की संभावनाएँ: इन्डिजनस तकनीक के आधार पर भारत ने अपने रक्षा एरिया में आत्मनिर्भर बनने का मार्ग प्रशस्त किया है, जो देश की सुरक्षा और तकनीकी मजबूती को बढ़ाता है।

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भारत का डिफेंस सेक्टर: 21000 करोड़ के हथियारों का निर्यात, आर्मेनिया सबसे बड़ा खरीदार