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क्या शादी से पहले कुंडली मिलाना जरूरी है? प्रेमानंद जी महाराज ने मुस्कुराते हुए कहा, "सिर्फ कुंडली मिलने से सब तय नहीं होता!"

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हिंदू धर्म में शादी से पहले कुंडली मिलाने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसे वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, ताकि जोड़े के बीच एकता बना रहे।

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प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि शादी सफल होने का आधार कुंडली नहीं, बल्कि सद्विचार और समझदारी है। केवल कुंडली मिलने से वैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं बनता।

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जन्म के समय माता-पिता बच्चे की कुंडली बनवाते हैं ताकि उसके भविष्य, शादीशुदा जीवन, करियर और संभावित परेशानियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।

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शादी से पहले कुंडली मिलाने का उद्देश्य यह जानना होता है कि लड़का-लड़की के कितने गुण मेल खाते हैं और क्या उनका दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।

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पहले के समय में माता-पिता द्वारा तय शादी में कुंडली मिलाना अनिवार्य माना जाता था, लेकिन आजकल लव मैरिज करने वाले लोग इसे अधिक महत्व नहीं देते।

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प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि आजकल लोग कुंडली देखने की परवाह नहीं करते, क्योंकि प्रेम विवाह में यह प्रक्रिया आमतौर पर नजरअंदाज की जाती है।

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कुंडली मिलने के बावजूद कई बार शादीशुदा जीवन में समस्याएं आती हैं। असली सुख का आधार पति-पत्नी की आपसी समझदारी, संयम और मधुर व्यवहार होता है।

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 प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि वैवाहिक जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज पवित्र चरित्र है। यदि पति-पत्नी में आपसी विश्वास और सम्मान है, तो अन्य कमियों को नजरअंदाज किया जा सकता है।

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