क्या सच में शादी महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित होती है सोशल मीडिया पर बहू पर थोपे गए दायित्वों को लेकर हो रही है ज़ोरदार चर्चा
mpbreakingnews
भारत में शादी को एक सामाजिक और धार्मिक परंपरा माना जाता है, लेकिन इसके बाद महिला की दिनचर्या पूरी तरह बदल जाती है। करियर और घरेलू जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना एक चुनौती बन जाता है, जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं पर अधिक भार डालता है।
mpbreakingnews
आज की महिलाएं फाइनांशीयली फ्री हैं, खुद का ख्याल रख सकती हैं और अपने फैसले खुद लेती हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या उन्हें शादी की संस्था से कोई एक्स्ट्रा फायदा मिलता है या सिर्फ सामाजिक दबाव में यह फैसला लिया जाता है?
mpbreakingnews
विवाह के बाद महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वे घर का सारा काम करें, भले ही वे नौकरी करती हों। यह असमानता एक बड़ी चिंता है। जब दोनों पार्टनर कमाते हैं, तो काम भी बराबरी से क्यों नहीं बंटता?
mpbreakingnews
बहू बनते ही महिला से ‘परिवार की सेवा’ की अपेक्षा शुरू हो जाती है। वहीं बेटे से कोई बदलाव की अपेक्षा नहीं की जाती। यह दोहरा मापदंड महिलाओं को सवाल उठाने पर मजबूर करता है – क्या ये सही है?
mpbreakingnews
शादी को अक्सर दो दिलों का मेल बताया जाता है, लेकिन वास्तविकता में यह कई बार सिर्फ एक पक्ष पर जिम्मेदारियों का बोझ बन जाती है। यदि प्यार और साझेदारी हो, तो ही ये रिश्ता सच्चे अर्थों में सफल कहा जा सकता है।
mpbreakingnews
शादीशुदा औरत अगर घरेलू मदद लेती है तो उसका खर्च भी उसकी सैलरी से जाता है। ऐसे में ना केवल उसका आराम कम होता है, बल्कि उसकी कमाई भी घर के कामों में खर्च होती है – यह स्थिति असंतुलित और अनुचित लगती है।
mpbreakingnews
कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने सुझाव दिया कि शादी से पहले ही महिला को अपनी सीमाएं, अपेक्षाएं और लाइफस्टाइल स्पष्ट करनी चाहिए, ताकि बाद में टकराव न हो। अलग रहकर और जिम्मेदारियां बाँटकर एक संतुलित जीवन संभव है।
mpbreakingnews
शादी एक खूबसूरत संस्था बन सकती है यदि दोनों साथी एक-दूसरे का सहयोग करें, काम बाँटें और सम्मान दें। लेकिन यदि एक पक्ष को सिर्फ त्याग करना पड़े, तो यह रिश्ते का बोझ बन जाता है, फायदा नहीं।
शादी के बाद क्यों बढ़ने लगती है कपल्स के बीच फिजिकल दूरी मैरिज एक्सपर्ट ने बताईं 5 आदतें जो रिश्ते को धीरे-धीरे कर देती हैं कमजोर