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Jungle news: दिमाग को कैसे छोटा कर लेता है ये जानवर, जवाब ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाला

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यूरेशियन सामान्य छछूंदर ठंड से बचने के लिए अपने दिमाग का आकार 18% तक कम कर लेता है। सर्दियों के बाद, यह फिर से अपने मूल आकार में लौट आता है।

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जहां अन्य जानवर ठंड से बचने के लिए हाइबरनेशन में जाते हैं, छछूंदर ऊर्जा बचाने के लिए अपने दिमाग की संरचना को बदलता है। यह प्रक्रिया वैज्ञानिकों को हैरत में डालती है।

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पोलिश पशुविज्ञानी ऑगस्ट डेहनल ने इस अद्भुत क्षमता की खोज की। इसे "डेहनल की प्रक्रिया" नाम दिया गया, जिसमें छछूंदर ठंड के दौरान दिमाग का भार और ऊर्जा खपत कम करता है।

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अमेरिका, जर्मनी और डेनमार्क के रिसर्च ने शोध के जरिए उन जीन्स का पता लगाया, जो छछूंदर की इस प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें से कुछ जीन्स इंसानों में मोटापे और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से जुड़ी हैं।

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छछूंदर के हाइपोथालैमस (जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है) और अन्य 15 स्तनधारी प्रजातियों की तुलना से यह समझा गया कि मेटाबॉलिज्म और दिमाग सिकुड़ने की प्रक्रिया का गहरा संबंध है।

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रिसर्च से यह पता चला कि छछूंदर की यह प्रक्रिया neurogenic रोगों और मेटाबॉलिज्म विकारों के इलाज में उपयोगी हो सकती है। इंसानों में दिमाग का ऐसा बदलाव जानलेवा हो सकता है, लेकिन इसका अध्ययन उपचार की नई संभावनाएं खोल सकता है।

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हाइबरनेशन तकनीक को अंतरिक्ष यात्रा में ऊर्जा बचाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा खोजा जा रहा है। छछूंदर की दिमाग सिकोड़ने की क्षमता इस दिशा में भी नई उम्मीदें पैदा कर सकती है।

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छछूंदर की यह अनोखी प्रक्रिया वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा है। अगर इंसानों में इस क्षमता को विकसित किया जा सके, तो ठंड, ऊर्जा संकट और कई गंभीर बीमारियों का समाधान संभव हो सकता है।

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