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20 सालों से गूंज रहा है 'कजरारे-कजरारे', लेकिन 90% लोग इसकी मशहूर लाइन का अर्थ नहीं जानते, गुलज़ार के बचपन से जुड़ा है इसका खास नाता

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फिल्म बंटी और बबली (2005) का गाना कजरारे-कजरारे आज भी लोगों की जुबान पर है, लेकिन 90% लोग इसके असली अर्थ से अनजान हैं।

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गुलजार साहब के लिखे गीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि गहरी भावनाओं का परछाई होते हैं। उनके शब्द दिल के जख्मों की मरहम भी हैं और खुशी की झलक भी।

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"ऐसी नजर से देखा उस जालिम ने चौक पर, हमने कलेजा रख दिया चाकू की नोक पर।" इसका अर्थ है कि पहली नजर में ही लड़की का दिल पिघल गया और उसकी कहानी पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गई।

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"सुरमे से लिखे तेरे वादे, आँखों की जबानी आते हैं।" इसका मतलब है कि प्रेमी की आँखें उसकी भावनाओं को बिना शब्दों के बयान कर देती हैं।

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सुरमे से लिखे तेरे वादे, आँखों की जबानी आते हैं।" "आजा टूटे ना टूटे ना अंगड़ाई, हो मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आजा।" इसमें अंगड़ाई को खूबसूरत सपने का प्रतीक माना गया है, जो प्रेमिका चाहती है कि अधूरा ना रह जाए।

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तुझसे मिलना पुरानी दिल्ली में, छोड़ आए निशानी दिल्ली में।" इसमें दिल्ली 6 की गलियों, खासकर बल्ली मारां और दरीबे का जिक्र है, जहां प्रेम कहानियां और अफवाहें तेजी से फैलती हैं

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गुलजार साहब का बचपन बल्ली मारां की उन्हीं गलियों में बीता था, जिनका उन्होंने इस गाने में खूबसूरती से वर्णन किया है।

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बल्ली मारां, चूड़ीवालान, बड़ी बारादरी और किनारी बाजार जैसी जगहों की हलचल और ऐतिहासिक प्रेम कहानियों को गुलजार साहब ने अपने गीत में अमर कर दिया।

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