निर्जला एकादशी पर इस तरह से रखेंगे व्रत, शुभ फल होगा व्रत

निर्जला एकादशी का व्रत कल 10 जून को रखा जाएगा. हिंदू धर्म में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. व्रत रखने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस व्रत को भीम ने भी रखा था, इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी (bhimeseni ekadashi) कहते हैं l

निर्जला का अर्थ निराहार और निर्जल रहकर व्रत करना है. इस दिन व्रती को अन्न तो क्या, जलग्रहण करना भी वर्जित है, यानी यह व्रत निर्जला और निराहार ही होता है, शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि संध्योपासना के लिए आचमन में जो जल लिया जाता है, उसे ग्रहण करने की अनुमति है l

पवित्रीकरण हेतु आचमन किए गए जल के अतिरिक्त अगले दिन सूर्योदय तक जल की बिन्दु तक ग्रहण न करें l

अगले दिन द्वादशी तिथि में स्नान के उपरान्त पुन: विष्णु पूजन कर किसी विप्र को स्वर्ण व जल से भरा कलश व यथोचित दक्षिणा भेंट करने के उपरान्त ही अन्न-जल ग्रहण करना चाहिए या व्रत का पारण करें l

ये व्रत मोक्षदायी व समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है l

इस दिन का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से वर्ष के सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त होता है l