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ज्वालामुखी की राख में बनी शराब से तैयार ‘मार्गरीटा’ जानें इसका इतिहास

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 टकीला (Tequila) का इतिहास करीब 400 साल पुराना है और यह मेक्सिको की कल्चर का वही हिस्सा है। इसे नीले एगेव (Blue Agave) पौधे से बनाया जाता है, जो देखने में एक बड़ा एलोवेरा जैसा होता है। इसका स्वाद तीखा और अनोखा होता है, जिससे यह दुनिया भर में फेमस है।

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एज़्टेक लोग सबसे पहले एगेव के रस को फर्मेंट कर "पुल्क" नामक ड्रिंक बनाते थे, जिसका इस्तेमाल रीलिजस और सेरमोनीअल काम में होता था। बाद में स्पेनिश कालनाइज़र ने इसका डिस्टिल्ड रूप "मेज़कल" तैयार किया, जो आगे चलकर टकीला के रूप में फेमस हुआ।

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मेज़कल किसी भी एगेव-बेस्ड डिस्टिल्ड स्पिरिट को कहा जाता है, जबकि टकीला खास रूप से ब्लू वेबर एगेव से बनाई जाती है। मेज़कल को अक्सर मिट्टी के गड्ढों में पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद धुएं जैसा होता है, जबकि टकीला का स्वाद इसके मुताबिक स्मूद और क्रिस्प होता है।

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टकीला का नाम मेक्सिको के जलिस्को राज्य के "टकीला" कस्बे से पड़ा, जहां 16वीं शताब्दी में इसका पर्डक्शन शुरू हुआ। पहली डिस्टिलरी "मार्क्विस ऑफ अल्टामिरा" ने स्थापित की थी। यह परंपरा आज भी जारी है।

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टकीला बनाने के लिए सिर्फ ब्लू वेबर एगेव का इस्तेमाल होता है। यह पौधा जलिस्को के ऊंचे इलाकों में पाई जाने वाली लाल ज्वालामुखीय मिट्टी में पनपता है, जो इसके टैस्ट और क्वालिटी को खास बनाती है।

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ब्लू एगेव पौधे को मट्युर होने में 8 से 10 साल लगते हैं। इसके भूमिगत हिस्से को "पिना" कहा जाता है, जो एक बड़ा  सफेद अनानास जैसा दिखता है और टकीला बनाने का मैन हिस्सा होता है।

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दुनिया भर में करोड़ों लोग टकीला का आनंद लेते हैं। 1918 के स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान डॉक्टरों ने नमक और नींबू के साथ टकीला पीने की सलाह भी दी थी, जिससे फ्लू के लक्षण कम करने में मदद मिल सकती है।

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पिना को काटकर डिस्टिलरी ले जाया जाता है, जहां इसे पकाया, फर्मेंट और डिस्टिल किया जाता है। इस ट्रडिशनल तरीके से बनी टकीला अपने टैस्ट और क्वालिटी में यूनीक होती है, जिसे दुनिया भर में एक्सपोर्ट किया जाता है।

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