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जानें पूरी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का कहानी...

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हिंदू धर्म में कृष्ण जन्मोत्सव का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में हर साल भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है.

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इस साल कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व 18 अगस्त दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल गोपाल रूप की विधि विधान से पूजा की जाती है. कृष्ण जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण की पूजा रात्रि में करने की मान्यता है.

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हिंदू मान्यता के अनुसार अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण के रात में जन्म लेने के पीछे मुख्य कारण उनका चंद्रवंशी होना है. श्रीकृष्ण चंद्रवंशी, चंद्रदेव उनके पूर्वज और बुध चंद्रमा के पुत्र हैं, इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अवतार लेने का समय रात में चुना.

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भगवान श्रीकृष्ण देवकी के आठवें पुत्र और भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं. गोविंद पांडे बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के रात में जन्म लेने के पीछे सबसे बड़ा कारण उनका चंद्रवंशी होना है.

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पूर्वज चंद्रदेव की भी अभिलाषा थी कि भगवान विष्णु मेरे कुल में कृष्ण रूप में जन्म ले रहे हैं तो मैं इसका प्रत्यक्ष दर्शन कर सकूं. 

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पौराणिक धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि कृष्णावतार के समय पृथ्वीलोक से अंतरिक्ष तक पूरा वातावरण हर्षोल्लास से प्रसन्नचित्त हो गया था.

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भगवान कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था. भगवान कृष्ण कंस के कारागार से निकलने के लिए भी आधी रात का समय चुना. 

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ताकि उनके पिता सुरक्षित स्थान पर भेज सकें, इसलिए जब कृष्ण का जन्म हुआ, तभी  कारागार के द्वार खुल गए और सैनिक गहरी नींद में सो गए. तब उनके पिता वसुदेव गोकुल में सुरक्षित पहुंचाकर, वापस कारागार में चले गए.