मदर टेरेसा (Mother Teresa) जीते जी संत (Saint) घोषित नहीं हुई थीं लेकिन उनका जीवन संतों की तरह ही था. सभी से वे प्रेम से मिलती थी.
करुणा का भाव उनमें कूट कूट कर भरा था. मानव सेवा (Service to Humanity) का जो जज्बा उन्होंने अपने अंदर विकसित किया था, वह बेमिसाल है.
इस सेवा संकल्प की पूर्ति के सफर उन्होंने अकेले ही सफर शुरू किया. संघर्ष में कई साल गुजारे लेकिन प्रार्थना और सेवाभाव के जज्बे से वे आगे बढ़ती रहीं और एक दिन पूर दुनिया उनकी कायल हो गई.
26 अगस्त 1910 को अल्बानिया में जन्मीं मदर टेरेसा पैदा होने के अगले ही दिन ही उन्हें ईसाई धर्म की दीक्षा मिल गई.इसी लिए वे अपना जन्मदिन 27 अगस्त को ही मनाया करती थीं.
18 साल की उम्र तक एक्नेस नेअपना जीवन धर्म को समर्पित करने का फैसला कर लिया. इसी साल वे आयरलैंड के इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लेस्ड वर्जिन मेरी चली गईं जिससे वे अंग्रेजी सीख कर भारत जाने का अपना सपना पूरा कर सकें
1950 में उन्हें वैटिकन से उनके मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्वीकृति मिली. यह धार्मिक सिस्टर्स समूह अति गरीब लोगों की निस्वार्थ सेवा के लिए पूरे मन से सेवाएं दे रहा था. धीरे धीरे उनका कार्य पूरे संसार में फैलता गया.