स्त्री और पुरुषों के बीच भाषा का उपयोग भी अलग होता है। स्त्रीयों को अधिक संवेदनशील और संवेदनशील भाषा का उपयोग करने की प्रवृत्ति होती है, जबकि पुरुषों के बोलने का तरीका अधिक नियंत्रित और अधिक प्रभावशाली होता है।
स्त्री और पुरुषों के बीच समस्याओं के समाधान की दृष्टि में अंतर हो सकता है। सामान्यत: स्त्रीयों की समाधान क्षमता सामूहिक और सहानुभूति पर आधारित होती है, जबकि पुरुषों की यह अधिक लक्ष्य-संवेदनशील होती है।
स्त्री और पुरुषों की भावनात्मक संवेदनशीलता में भी अंतर हो सकता है। सामान्यत: स्त्रीयों की भावनाएं अधिक संवेदनशील और सहयोगी होती हैं, जबकि पुरुषों की अधिक आत्मनिर्भरता और अनुकूलता की प्रवृत्ति होती है।
स्त्री और पुरुषों के बीच सामाजिक इंतरैक्शन में भी अंतर हो सकता है। स्त्रीयों को अधिक सामूहिक और संवेदनशील रूप में संघर्ष करने की प्रवृत्ति होती है
स्त्री और पुरुषों के बीच रिश्तों की स्थायित्व और समयावधि में अंतर हो सकता है। सामान्यत: स्त्रीयों को रिश्तों की दृढ़ता और दृढ़ संबंध की अधिक प्राथमिकता होती है
स्त्री और पुरुषों के बीच अपने जीवन की संगठनशीलता में भी अंतर हो सकता है। स्त्रीयों को अपने जीवन को अधिक संगठित और व्यवस्थित रखने की प्रवृत्ति होती है, जबकि पुरुषों की इसमें कम रुचि होती है।
स्त्री और पुरुषों के बीच व्यक्तिगत संतुलन में भी अंतर हो सकता है। स्त्रीयों को अपने जीवन का व्यक्तिगत संतुलन बनाए रखने की अधिक आवश्यकता होती है, जबकि पुरुषों की इसमें कम रुचि होती है।
स्त्री और पुरुषों के बीच सामर्थ्य और क्षमता में भी अंतर हो सकता है। सामान्यत: स्त्रीयों को अपनी क्षमताओं और सामर्थ्य को अधिक प्रकट करने की प्रवृत्ति होती है, जबकि पुरुषों की इसमें कम रुचि होती है।