हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री राधाष्टमी का व्रत रखा जाता है.
राधा और कृष्ण दोनों एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं एक दूसरे के बिना दोनों का अस्तित्व निरर्थक है. राधाष्टमी के दिन ही राधा रानी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है. इस बार राधाष्टमी का व्रत 4 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा.
पौराणिक हिन्दू मान्यताओं के अनुसार राधा जी कृष्ण जी से उम्र में बड़ी थीं. जहाँ कृष्ण जी का जन्म भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था वहीं राधा जी का जन्म भादो माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था.
शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने वालों को उनके सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में नयी ख़ुशियों का आगमन होता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, राधाष्टमी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 03 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और 04 सितंबर को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, राधाष्टमी व्रत 04 सितंबर 2022 को रखा जाएगा.