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शम्मी कपूर की हीरोइन छोटे स्टार्स को नहीं लगाती थी 'मुंह, छोटे कलाकारों से दूरी बनाए रखती थीं, लेकिन स्क्रीन पर उनकी अदाओं का जादू खूब चलता था

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 वैजयंतीमाला सेट पर अपने को-स्टार्स से ज्यादा बातचीत नहीं करती थीं, खासकर छोटे कलाकारों से दूरी बनाए रखती थीं।

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उन्होंने 1951 में तमिल सिनेमा से हिंदी सिनेमा में कदम रखा और अपनी जबरदस्त ऐक्टिंग से दर्शकों को अट्रैक्ट कर दिया।

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उनके गाने ‘मन डोले मेरा तन डोले’, ‘होठों पे ऐसी बात’ और ‘उड़े जब जब जुल्फें तेरी’ ने उन्हें डांसिंग क्वीन बना दिया।

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50-60 के दशक में उन्होंने ‘संगम’, ‘गंगा जमुना’, ‘आम्रपाली’, ‘नागिन’ जैसी सुपरहिट फिल्मों से बॉलीवुड में अपना दबदबा कायम किया।

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1955 में आई ‘देवदास’ में उनकी ‘चंद्रमुखी’ की भूमिका ने लोगों के दिलों में खास जगह बनाई, हालांकि उन्होंने फिल्मफेयर अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया था।

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मुमताज ने बताया कि वैजयंतीमाला छोटी कलाकार से बात नहीं करती थीं, जबकि वहीदा रहमान बहुत विनम्र थीं और सभी से घुलमिल जाती थीं।

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उन्होंने रुरल लड़की से लेकर उप्पार क्लास महिला तक की भूमिकाएं निभाई, जिससे उनको यटिंग पावर की झलक मिली।

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बॉलीवुड के कई बड़े सितारों की तरह, वैजयंतीमाला भी अपने नियमों पर चलती थीं और कभी किसी के आगे नहीं झुकीं।

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