लंबे समय तक अकेले रहना धूम्रपान जितना ही बुरा है जाने ऐसे ही कुछ मनोवैज्ञानिक तथ्यों के बारे मे
अकेले रहना और धूम्रपान दोनों ही विभिन्न प्रकार के तनाव और अवसाद का कारण बन सकते हैं।
अकेले रहने से मनुष्य की सोचने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे उन्हें तनाव और अवसाद का सामना करना पड़ता है
अकेले रहने के दौरान मनुष्य की समय-सारणी पर भी असर पड़ता है, जो उन्हें संजीवनी बातों के लिए समय नहीं देता है।
धूम्रपान करने से दिमाग के रसायनिक प्रक्रियाओं में बदलाव होता है, जिससे व्यक्ति का मूड और ताकत में परिवर्तन आ सकता है।
अकेले रहने के कुछ लाभ भी हो सकते हैं, जैसे कि स्वतंत्रता का अनुभव और आत्म-ज्ञान की वृद्धि, लेकिन लंबे समय तक यह असही बात हो सकती है और धूम्रपान जैसी नकारात्मक आदतों का संपर्क हो सकता है।
धूम्रपान करने से मुख्यत: शरीर में निकोटीन और तम्बाकू के विषाणुओं का संवेदनशीलता बढ़ती है, जो व्यक्ति को अधिक तनावपूर्ण बना सकता है।
अकेले रहने और धूम्रपान के कारण, सामाजिक और पारिवारिक संबंधों में दूरी बढ़ सकती है, जिससे अकेलापन और अवसाद का सामना करना पड़ता है।
धूम्रपान करने से नींद की गुणवत्ता कम हो सकती है, जिससे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और उनका ध्यान भटक सकता है।