ऐसा प्यार जिसमें ईमोशनल जुड़ाव नहीं होता, ना ही एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने की कोई कसमें होती है, आखिर क्यों यह रिश्ता डिप्रेशन का कारण बन रहा है?
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आज की पीढ़ी में रोमांस बदल गया है। पहले प्यार को जीवनभर का बंधन माना जाता था, लेकिन अब युवाओं को छोटे और अस्थायी रिश्ते पसंद आते हैं, जिन्हें नैनोशिप कहा जाता है।
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नैनोशिप छोटे समय के रिश्तों को दर्शाता है। इसमें दो लोग कुछ घंटों, दिनों, या हफ्तों के लिए जुड़ते हैं और फिर अलग हो जाते हैं। इसमें कोई लंबा वादा या ईमोशनल जुड़ाव नहीं होता।
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डिजिटल युग में डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया ने युवाओं को "कूल" रिलेशनशिप का नया विकल्प दिया है। ये रिश्ते पार्टियों, क्लब, या सोशल प्लेटफॉर्म्स पर शुरू होते हैं और जल्द खत्म हो जाते हैं।
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नैनोशिप में गहराई या स्थायित्व नहीं होता। इसमें जुड़ने का उद्देश्य सिर्फ मौज-मस्ती और वर्तमान का आनंद लेना होता है। यह किसी भी प्रकार के लॉंग टर्म फ्यूचर की योजना से मुक्त होता है।
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नैनोशिप में न तो भावनात्मक जुड़ाव होता है और न ही शारीरिक। यह रिश्ता केवल आकर्षण पर आधारित होता है, जो अधिकतर दिखावे तक सीमित रहता है।
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आज की पीढ़ी कमिटमेंट से बचती है। उन्हें जीवन में अनेक विकल्प चाहिए। इसलिए वे लंबे समय तक एक रिश्ते में रहना या जीवनभर के वादे करना पसंद नहीं करते।
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नैनोशिप जैसे ट्रेंड युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। बार-बार रिश्ते बनने और टूटने से उनमें अस्थिरता और डिप्रेशन के लक्षण बढ़ रहे हैं।
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नैनोशिप के कपल्स केवल रियल टाइम का आनंद लेते हैं। उन्हें भविष्य की कोई चिंता नहीं होती। यह ट्रेंड रिश्तों को टेम्परेरी और शैलो बना देती है।
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