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एक्टर को देखते ही हो गए थे मुरीद, 1975 की फिल्म में दिया सबसे बड़ा रोल, 50 साल बाद भी अमर है खलनायक का किरदार

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फिल्म 'शोले' की कहानी लिखने वाले सलीम-जावेद ने अमजद खान को नाटक 'ऐ मेरे वतन के लोगों' में देखा था। जावेद अख्तर ने उन्हें गब्बर सिंह के किरदार के लिए चुना, और उन्होंने अपनी दमदार अदायगी से इस रोल को अमर बना दिया।

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'शोले' अमजद खान की पहली बड़ी फिल्म थी। हालांकि उन्होंने इससे पहले कुछ फिल्मों में काम किया था, लेकिन गब्बर सिंह के रोल ने उन्हें इंडस्ट्री का सितारा बना दिया।

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"यहां से 50-50 कोस दूर गांव में, जब बच्चा रोता है, तो मां कहती है बेटा सो जा, नहीं तो गब्बर आ जाएगा" – यह डायलॉग आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में ताजा है।

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रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित 'शोले' इंडियन सिनेमा की पहली फिल्म थी, जिसने 100 से अधिक सिनेमाघरों में 25 सप्ताह तक चलने का रिकॉर्ड बनाया।

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3 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस फिल्म ने भारत में 35 करोड़ रुपये और दुनियाभर में 50 करोड़ रुपये की कमाई की, जो उस समय के हिसाब से एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।

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'शोले' केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की पहचान बन गई। फिल्म के हर किरदार, चाहे वह जय-वीरू हों, बसंती या ठाकुर, सभी आज भी याद किए जाते हैं।

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'शोले' की सफलता ने अमजद खान को स्टारडम के शिखर पर पहुंचा दिया। उनके खलनायक के किरदार ने उन्हें बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन विलेन की सूची में शामिल कर दिया।

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 गब्बर सिंह भारतीय सिनेमा के इतिहास का ऐसा खलनायक बन गया, जिसे 50 साल बाद भी लोग भुला नहीं पाए। उनकी दमदार ऐक्टिंग और संवाद आज भी प्रेरणा और मनोरंजन का स्रोत हैं।

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